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रिट्टणेमिचरिउ
रहिउ धणजउ णं विहिं सइलहं
घत्ता हरि जमलउ धए वाणरु । उप्परि तवइ दिवायरु ॥
[४]
(हेला) उडुवइ णरिंदहो णिय-धए पयंगो ।
हरि वोलिउ भीमहो णउलहो कुरंगो ॥ सहएवहो हंसु सुवण्ण-घडिउ । हइडिंवहो गिद्ध धयग्गे चडिउ पंचालहूं पंच-वि लोयपाल वम्म-वलएवहं मयर-ताल सोवण्ण-सोहु सिणिणदणास । धय पेक्खेवि गरुडु जणदणासु ४ वीभच्छहो गग्गरु कंठु जाउ णयणंतरे थिउ जल-लव-णिहाउ एत्तडेण ण सोहइ सुहड-सिंधु जण्ण-वि अहिमण्णुहो तण चिंधु णिन्भच्छिउ अज्जुणु माह वेण जइ संकिउ ता किं आहवेण वोलंतह णर-णारायणाहं उप्पंगुरंत-गय-हरिण-णाह(१) ८ महुसूयणु घोसइ परम संति रिउ जिहि पत्थ णउ का-वि भंति
घत्ता पर-वलु पेक्खेवि णरु परियढिय-मच्छरु । थिउ अवलोयणे कुरुवहं णाई सणिच्छरु ॥
[५]
(हेला) तो दुम्मरिसणेण गंधारि-गंदणेण ।
वेढाविउ वलेण सोवण्ण-संदणेण ॥ स-रहसेण पवढिय-कलयलेण काहल-कुल-किय-कोलाहलेण तूर-वोहामिय-सायरेण सर-मंडव-पिहिय-दिवायरेण स-कवए स-धएण स-वाहणेण णरु वेढिउ किंकर-साहणेण
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