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________________ सठिमो संधि महुसूयण चंदाइच्च वे-वि हरि-हर-चउराणण तिणि ते-घि चउ सायर पंच -वि लोयपाल जम-सणि-कलि-पलय-कयंत-काल ओए-वि छ-वि सत्त महा-रिसिंद वसु अट्ठ णवग्गह दस दिसिद ४ एयारह रुद्द कियावलेव दिवसयर दुवारह सयल देव चउदह महिंद भुवण-ए-वि परिरक्ख करउ अवरे-वि के वि सरु दारुणु तोणा-जुयलु तिव्वु रहु पक्कल करे गंडीवु दिव्वु तुहुं जवलउ जायव-णाहु जासु कउ चुक्कइ वार जितु तासु ८ महु मरइ जयबहु अज्जु देव केसरि-कमे णिवडिउ हरिणु जेम महु महुसूयण . तुज्झु णियंतहो लहु कर करि जमलल संदणु । किज्जइ कउरव-कडमद्दणु ॥ ९ [३] (हेला) तो जमलिउ महारहो तुरिउ केसवेणं । दिण्ण देव-दुंदुही गयणे वासवेणं ॥ रण-रहसुब्भडु कड्ढिय-पइज्जु पर-महिहर-पत्थिव-पलय-वज्जु किय-कंचण-राहा-जंत-वेहु गिव्वाण-महा-सर-लिहिय-लेहु खंडव-डह-डामरु कुरु-मसाणु तब-तालुय-वम्म-वलावसाणु परिसेसिय-उध्वसि-सुरय-सोक्खु कुरु-णर-परमेसर-वंदि-मोक्खु रण-रामालिंगिय-वियड-बच्छु परियढिय-धणु-तोसविय-मच्छु मेरुग्णय-रहवरु वर-तुरंगु चंदक्क-चक्क-पक्कल-रहंगु पवणुद्धय-धयवडु धवल-छत्तु तवणिज्जावरणावरिय-गतु गोहाजिण-वद्धंगुलिय-ताणु गंडीव-धणुद्धरु लइय-वाणु ८ रि-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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