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उसद्धिमो संधि
णिएवि धणंजय - चिंधु सिंधव - संदही कज्जे
तो दुज्जोहणेण मइ - मूढें दक्खाविय - फुरंत - माणिकह
सहसु महारहाहं सउ दुश्यह तामं घणंजय - रहवरु आइउ दढ - विणिवद्ध - गोहंगुलि ताणउ करे गंडीउ धुणंतु कइजउ करे सारंगु ससंतु भयंकरु विहि-मि कंड- मोक्खंतरे थाएवि
अज्जुण - महुमहणेहिं गह- कल्लोले गाइ'
घन्त्ता
कुरु-लोएं एम णिव्वाइउ । संघाय - मरणु लइ आइउ ॥
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पासे जणद्दणु गरुड - महद्धउ गणगणे - धणु पयोहरु पूरिय संख सत्तु णिज्झाएवि
उत्तम - सेय-तुरंगारूढे
सहसई पंचवीस पाइकहूं तिष्णि सयई अइ- उत्तम-तुश्यह हिम- गिरि लद्ध पक्खु णं धाइ ४
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घन्ता
सइ भुवेहिं लएप्पिणु वाइय । विहि-मि विणि (?) चंद मुहे लाइय || ९
इय रिट्ठमिचरिए धवलइयासिय सयंभू एव - कए समो इमो सग्गो ।
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