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रिटणेमिचरिउ
व्हाउ जुहिट्ठिलु जय-जय-सद्दे वद्धावणु अणुसरिस-णिणद्दे मंगल सिय सिचय परिहेप्पिणु इट्ठा-देवय-पुज्ज कराप्पणु ८
पत्ता धणु दीणाणाहहं देवि महासणे णाहु णिविट्ठउ । णरेहि णराहिउ तेत्थु णं सुरेहिं सुराहिउ दिउ ।
[३] तो दउवारिएण हक्कारिय महुमह-पमुह सव्व पइसारिय पंडव-णाहु णवेप्पिणु घोसइ एउ ण जाणहु किह हरि होसइ तेरह-वरिसई सुक्खु ण लद्धउ संधि-काले पडिवण्णु ण अद्धउ तेरह दिवस णिरंतरु जुज्जिउ वाल-मरणु तं तुम्हेहिं बुज्झिउ ४ एवहिं किय पइज्ज धर-धारा तिह करि जिह् णिवहइ भडारा तिह करि जिह भारहु जे समप्पइ तिह करि जिह महि सयल विढप्पइ हउं परियारु देव तुह खंडउ रणे वुड्डंतहो होहि तरंडउ तो महुमहेण हसेप्पिणु वुच्चइ आयह सव्वहं णरु जे पहुच्चइ ८
घत्ता
कवणु धणुद्धरु तासु जो सवडम्मुहु थाइ
सरवर-संधाणु करेसइ । सो रण-मुहे सव्वु मरेसइ ।
[४] तहिं पत्थावे पत्थु पस्थिव-सह पइसइ सक्कत्थाण-समप्पह किउ तव-सुयहो तेण अहिवायणु जय-कारिउ स-भीमु णारायणु मत्थए चुंवेवि पंडव-णाहे दिण्णासीस सु-णेह-सणाहें । सहल पइज्ज होउ समरंगणे सुर पेक्खंतु सब गयणंगणे जिणहि जयबहु हरिहे पलाए एमासीस दिण्ण जं राएं। भणइ धणंजउ सउरि जे मंगलु मुंजहि तुहु-मि देव कुरु-जंगलु
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