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उणसहिमो संधि
उयय-महीहर-सिंगे पत्थ-जयद्दह-जुज्झु
उग्गमिउ भुअण-परिपालउ णं दिणमणि आउ णिहालउ ॥
राउ विउद्ध ढुक्कु पहु-पालिय मागह सूय बंदि वेयालिय मंगल-पाढा पढिय विचित्तई दिण्णई वायणेहिं वाइत्तई गेयई गायणेहिं आढत्तई णच्चाणेहिं णच्चाविय पत्ताई णड कइ छत्त डोंव थिय वारेहिं किंपि ण सुम्मइ जय-जय-कारेहिं ४ अण्णेत्तहे पइमंति णिओइय तलवर तलवग्गिय भड भोइय कुलवत्तलिय मति सासणहर । सेणावइ संगर-कडूढिय-हर वेज्ज पुरोहिय भंडागारिय अंतरवंसिय कोट्ठागारिय अण्णेत्तहे सामंत स-साहण साउह संगावरण स-वाहण ८
घत्ता रह-गय-तुरय-भडेहिं जउ गमइ दिष्टि तउ रुभइ। तव-सुउ सायरु जेम वाहिणिहिं वहंतिहिं खुब्भइ ॥
[२] तूरइ हयइ अणेय-पयार दुंदुहि द्यण-ससुद्द-रव-सारइं झल्लरि झज्झरि झिंखिर वज्जइ कत्तरि करड कणइ आउज्जई भंभा-भेरि-भूर-भीभीसई तूणव-षणव-गोमुह-गोसीसई मद्दल-गदि समुद्दातालइ खुंखग-संखा-संख-वमालइ काइल-टिविला-लंबल-णामई एयावरइ-मि हयई पगामई कंचण-कलस-सएण जल-भरिएं अट्ठोत्तरेण वाण-धरिएं
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