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उणसट्ठिमो संधि
सु-विणउ कहिउ सुहिहिं अहिणंदिउ पंडव-लोउ सव्वु आणंदिउ पयहिण करेवि हयहं गुणवंतहं संदणे चडिउ भडहं पेक्खतहं
पत्ता सच्चइ महमहु पत्थु रहे तिण्णि-वि चडिय चिरंतणे । णं जमु कालु कियंतु थिय एकहि जुय-परिवत्तणे ॥
पुत्तु जसोयहे गंदहो गंदणु सो थिउ धुरहे धरेपिणु संदणु दारुएण जमलीकिउ रहवरु सुरगिरि-कडय-लग्गु णं मंदरु ताम्व समुट्ठियाई सु-णिमित्तई णं सचारिम सुहई विचित्तई सुहु सीयलु सुअंधु अणुकूलउ वाइ समीरणु मंगल-मूल हरिणु पधाइउ पहिण देतउ वामउ खरु दिहि उपायंतउ ताई णिमित्तइणिएवि धणंजउ पभणइ तालुय-वम्म-पुरंजउ सिणिवइ जाहि जाहि वहु-जाणउ पई दोणहो रक्खेवउ राणउ वम्महु णवर एक्कु पई सोसइ जे पई जिणइ सो को-वि ण दीसइ ८
पत्ता सच्चइ जाहि दवत्ति परिरक्ख करेहि गरिदहो । मई णत्यंतए सूरे मारेबउ अज्जु जयदहो ।
णर-णारायण गय कुरखेत्तहो सच्चइ पासु पत्तु तव-पुत्तहो जहिं सण्णद्ध कुद्ध वेयंड-व सोमय-सिंजय-कइकय -पंडव जहिं पंचाल-मच्छ वल-सायर पुंडरीय-परिपिहिय-दिवायर जहिं अवर-वि रिद् कुरु-डामर चाल्य-चारु-चामीयर चामा जहिं मयंध गंधुद्धर सिंधुर करि-सिक्कार तहिण-तिम्मिय-खुर जाहिं पासाय-सम-पह संदण मागह-सूय-बंदि-कय वंदण
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