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अट्ठावण्णमो संधि जुत्ति जुआलए जुयल महाहय मेहपुप्फ-सुगंधि-वलाहय गारुड-धयहो म ढोयाह वासणु सज्जोकार सारंगु सरासणु रहवरु राय-बारु पइसारहि एम करेमि देव गउ साहि महुमहणे-वि पदुक्कउ तेत्तहे चिंतावण्णु धणंजउ जेत्तहे एयारह-अक्खोहणि-पलउ वूह-मझे किह वइरि णिहालउं
घत्ता भणइ जणदणु किं ण हउं किं गंडीउ स-सरु णउ करयले । किं ण तुरंगम कि ण रहु जेण विसूहि तुहुं महु अग्गले ॥ १०
[१३] तो णारायण-वयणु णिहाले वि उर-मुह-कर-चरणइ पक्खालेवि एक-मणेण दम्भ-सयणत्थे सुमरिय सासण-देवय पत्थे जइ मई पंचाणुव्वय पालिय जइ जणि व पर-णारि णिहालिय जइ पर-कसमरु तिण-समु मण्णिउ जइ गुरु-वयणु ण मई अवण्णिउ ४ जइ णिय-सामिसालु णउ वंचिउ जइ देवाहिदेउ मई अंचिउ जइ देवयउ अस्थि जइ सासणु तो तुहुं देहि भडारिए दंसणु सुर-अंजलिउ होउ उवलद्धउ एम भणेवि णिवण्णु कइद्धउ सासण-देवय ताम तुरंति आय म जाणहो केत्तहे होंति ८
पत्ता कहिउ तार सिविणंतरे विण्णि-वि जेत्थु लेमि तहिं गम्मइ । तं तुम्हहं दक्खामि सरु जेण जयबहु परए णिहम्मइ ।। ९
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[१४] एम भणेवि थिय देवय अग्गए। णर-णारावण धाइय मग्गए विण्णि-वि गयइ णहंगण-मग्गें । गह-तारायण-रिक्खालग्गे दिट्टई गाम-णयर-उज्जाणइ जम्मण-णिक्खवणई वहु-ठाणई वुड्डण-वावि दिट्ठ कउवेरी सुरयण-णयणाणंद-जणेरी
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