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________________ रिट्ठणेमिचरिउ के-वि देति सु-पसत्थासीसउ दहि-दुव्वक्खय-सलिल-वि मी सउ जइ अम्हई गुरु-देवहं भत्ता माय वप्पु जइ वे-वि | सत्ता जइ किउ धम्मु सच्चु जइ पालिउ जइ तिण-समु पर-दव्वु णिहालिउ जइ णीसारिउ जिणवर-पुज्जर तो समरंगणे जिणउ धणंजउ ८ घत्ता जेहिं अक्खत्रों वालु हउ जेहिं ण दिण्णु अद्भु मग्गंतहं । ताहं हयासहं कउरवहं पडउ वज्जु सिरे दुण्णयवंतहं ।। ९. __ [११] जइ णरु मरइ मरइ तो माहउ वज्जिउ धम्म-सुएण महाहउ लोयहं पंडव-पक्खु वहंतहं अद्धरत्तु गउ एम चवंतह णिद्द ण जाइ ताम महसूयणु पभणइ सव्वाकरिसिय-पूयणु दारुइ जिह महु रुच्चइ अज्जुणु तिह ण संवु अणिरुद्ध ण पज्जुणु ४ तिह ण दसारुह सच्चइ-हलहर ण रह ण तुरय ण हस्थि ण किंकर तेण मरते मरमि णिरुत्तउ एउ तुज्झु मई अग्गए वुत्तउ किं तव-सुएण काई किर पत्थे मई मारेवा वइरि स-हत्थे मई गुरु-रइय वूह फोडेवा मई कुरु-कप्प-रुक्ख मोडेचा ८ सतह घत्ता सीस-फलई पाडेवाइ सर-दंडेहिं घाय-जज्जरियई। सउण-सयई भक्खेवाई वहु-मस्थिक्क-महारस-भरियइ ॥ ९ [१२] विस-जउ-भवण-जूय-केसग्गह ते दुण्णय डहंति महु अंगउं भाइणेय-वहु सहे वि ण सक्कमि दारुइ एत्तिउ करहि विहाणए वण-दुक्खई विगड-वह-गोग्गह णरहो तेण साहिज्जु करेवउ गरवर खयहो णेतु परिसक्कमि सज्जीहोज्जहि पढम-पयाणए ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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