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अट्ठावण्णमो संधि पंच महावय जेहिं ण भग्गा जेहिं धम्म गुरु देव ण णिदिय ते गय जेत्थु जेत्थु जाएज्जहि तहिं अबसरे अच्चंत-विणीयउ
जे पुरुएवहो सासणे लग्गा जेहिं परज्जिय पंच-वि इंदिय जिण-गुण-गणं-संपत्ति लहेज्जहि आयउ दुमय-विराडह धीयउ
घत्ता तहिं धाहाविउ उत्तरए तुम्हेहिं जाणहुं कुरुवेहिं पिट्ठउ । णं मरइ गाहु महु-तणउ महु पइ अच्छइ हियए पइटनउ ॥ ९
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तेग ण हियवउ फुटु महारउ जइ ण वाजु तो किल मउयारउ णिवडिउ क रेहिं हगंतु उर-स्थलु थग-सिह रेहिं ण पत्त महि-मंडलु वसुमइ दइन दवत्ति पइसारउ जेण गवेसमि कंतु महारउ दइत्रहो कालहो जमहो कयंतहो सिरु ण फुटु अहिमण्णु हरंतहो ४ वरि तिण-सिह वरि विल्लिए खण्णी णउ मई जेही तिय उप्पण्णी रुण्णु रुतिए णहयले इंदे रुण्णु रुवंतिए दुमयाणंदें रुण्णु रुतिए पुणु-वि सुहद्दए xxx पभगइ कण्हु कण्हे जाहारहि उत्तर तुहुं रोवं ते णिवारहि ८
घत्ता धीरेय सुंदारे दोमइए महसूयणेण सुहाएवि । पत्थहो तणिय वत्त कहेवि गर णिय-भत्रणहो दारुइ लेवि ॥
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गरेण विरइय सेज वहु-वण्णेहिं णव-दब्भेहिं वेरूलिय-वण्णेहिं तहिं गिवण्णु रण-दिक्खए थारवि थंडिले सासण-देवय झापवि सबहो जगहो जाउ उण्णिद्दउ कुरुव-राउ समरंगणे णिहउ दुक्कर किय पइज्ज सेयासें विजउ ण जाणहुं कवणे पासें
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