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अट्ठावण्णमो संधि दइउ देइ दइउ जे उद्दाल मारइ दइउ दइउ परिपालइ तुहु-मि भडारा दइवायत्तउ दूसह-दुक्ख-परंपर-पत्तउ पइ-मि रुण्णु पज्जुण्णहो जम्मणे घल्लिउ महुरहे जिणेवि महा-रणे जई उयरेण वहहिं तइलोउ-वि तो किं वालु ण रविखउ एक्कु-वि ८
घत्ता
तुहुं भायरु भत्तारु णरु भीमु भाउ भावंगु घुडुक्कर । केण-वि धारेवि ण सकियउ एकल्लउ कुमारु किह मुक्कउ ॥ ९
[५]
धीरइ दुधर-धराधर-घारउ माए माए संसारु असारउ सत्रहो पिंडहो तिहि-मि पयारेहिं एक जे णि दुट्ट-किमि-छारेहिं एह जे णि णराह्वि-विदहं एह जे णिट्ठ-वि णाय-खगिदहं एह णिट्ठ वरुण-वइसवणह एह् जे पिठ हुवासण-पवणह ४ एह जे णि8 भाणु-वंभाणहं एह जे णि सव्व-गिवाणहं एह जे गिट्ठ णिसायर-जक्खहं एह जे गिट्ठ विहंगम-लकखहं एह जे णि गरुड-गंधवह एह जे गिट्ठ भुयंगम-सव्वहं ८
घत्ता
जाह-मि महि जा महिअ-महि जाह-मि णिरवसेसु जगु भुंजइ । नाह-मि ताह-मि अम्हह-मि एह जे मिट्ठ माए किं रुज्जइ॥ ९
[६]
वोर-जणेरि वीर-भत्तारी वीर-पिउच्छ वीर-भत्तिज्जी वीर-वडाय वीर-दोहित्ती धीरोहोहि रुवंति लज्जहि
वोरहो धीय वीर-परिवारी वीरह वहुव वीर-सयणिज्जी वीरहो तणिय भइणी जगे वुत्ती माए माए सुय-सोउ विवजहि
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