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________________ १८ जो उप्पज्जइ पुत्त तुहारउ गयउरु तासु तासु वाइत्तइं छत्तई तासु तासु सिंहासणु तुज्झु समक्खु सव्वु परिछिण्णउं एम भणे वे वीभच्छु थिउ संख-चक्क - सारंग धरु कंस-महासुर-जय-सुय- घाणु दिट्ठ तेण रावंति सहोयरि जण-मण-णयणाणंद-जणेरी जब जउ दुक्कइ तर तर भिदइ उट्ठइ पडइ समुद्द - णियंसी गोविय-कंधि वलय - पालवेहि तिवलि - तरंग - मज्झे तियकायहो घोलइ मोतिय-हारु थणंतरे वाह - जलोलिय- लोयणिय दिट्ठ सुहद्द जगहणेण णिएवि सोयरु सुठुम्माहिय हा परमेसर सिरे गिरि-धारा करव-संढहं वले पहरंतर जं तुहुं जगह सरणु तं अलिय Jain Education International तासु वसुंधरि दिण्ण ति-वारउ तासु सेय - चामरई विचित्तइं णं तो तुहुं जे सक्खि गरुडासगु अणु परिक्खि गाउं मई दिण्णउं ८ घत्ता रिट्ठणेमिचरिउ दुद्दम-दाणव- देह - विमद्दणु । पासु सुहहहे चलिउ जणद्दणु ॥ [ ३ ] गड णिय - वहिणि भवणु णारायणु पिहुल- नियंविणि कुलिस-किसोयरि हत्थ - भल्लि णं वम्मह - केरी कंतिए ससहर - कंति णिसिंघइ उर-रव-हक्कारिय-हंसी चंदण लय भुयंग - सिलिवेहि पाईं ति अंगुलि वम्मह - रायहो गंगा- वाहु-व सुरगिरि-कंदरे घता पुत्त-बिओय-सोय- उकंठुल । मोक्कल - केस - कलाव विसंकुल || [ ४ ] कम - कमलुप्परे पडिय स धाहिय तिहुयण - लग्गण-खंभ भडारा इ-मि ण रक्खिर वालु मरंतर सव्वहं देवहं दइउ जे वलियउं For Private & Personal Use Only ९ ४ ९ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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