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रिट्टणेमिचरिउ
तहि अवसरे वद्धिय-विग्गहहो किं अच्छहि आइय धुउ मरणु वइसवणहो पवण हो हुयवयहो खंधहो अ-हिमयरहो हिमयरहो सहसक्खहो धरणहो तक्खयहो
चर-पुरिसेहि कहिउ जयबहहो जसु भावइ तासु जाहि सरणु मयरहरहो हरहो पियामहहो सुकहो सुर-गुरुहे सणिच्छरहो लइ ढुक्कउ तो-वि कुलक्खयहो
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घत्ता
परिरक्ख करेइ जइ-वि अणंतु अणंत-वलु । तोडे सइ पत्थु तो-वि तुहारउ सिर-कमलु ॥
[११]
तं णिसुणेवि विद्ध-खत्तत्तणउ चल-णयण-जुयलु वुण्णाणउ कह-कह-वि ण मोहावत्थ गउ भय-जलण-जाल-मालाभिहउ परिचितिउ दुक्कु मज्झु मरणु कहो अक्खनि कासु जामि सरणु साहारु ण वंघइ मूढ-मइ गउ तउ जउ कुरुव-णराहिबइ ४ लइ जामि तवोवणु होमि मुणि जहिं कह-मि ण सुम्मइ पत्थ-झुणि देव-मि अदेव जसु समर-मुहे तहो णिग्गय वय वयणंबुरुहे सा णिप्फल होइ कया-वि ण-वि आयामइ देव-वि दाणव-वि सुर खंडवे गो-गहे कुरुव जिय बंदिग्गहे तुज्झु परित्त किय ८ सब्भावे कुरुबइ भणमि पई को रक्खइ तुम्हई मज्झे मई
घत्ता
जिम णिय-घर जामि घोर-वीरु जिम तउ करमि । अज्जुणे जीवंते धुउ जीवंतु ण उव्वरमि ॥ ९
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