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________________ १० रिट्ठणेमिचरिउ वेयालिय मागह सूय णवि अट्ठोत्तरु णउ वावण्ण कवि मुहु जोइउ पत्थे माहबहो परमेसर णिग्गमे आहवहो दु-णिमित्तई जाइं णियच्छियई। मई तहिं जे लाइं परियच्छियई जिम धरिट उंगणे धम्म-सुउ जिम चक्क-बूहे अहिमण्णु मुउ ८ पत्ता वलु दीसइ सव्वु-इ इय दासति सहोयर-वि । पर आयहं मज्झे दीस इ एक्कु कुमारु जवि ।। [३] ४ चाणूर-कंस-विणिवायणहो घरु दवखवंतु णारायणहो गउ पासु पत्थु तव-णदण हो ओइण्णु णिर उहु संदणहो वोल्लाविउ धम्म-पुत्तु णरेण कठ-क्खल-महुरक्खर-सरेण दीसंति असेस वि सुहि-पवर महु तु ण दीसइ एक्कु पर किय-समरे परम्मुहु कहिनि हुउ किय चक्क-चूहु पइसरे व मुउ तो कहइ जुहिठिलु अज्जुणहो अलि-लिहि-गल गालाणज्जुणहो आएसें सो महु तणेण गउ छहि जणेहिं अखत्ते ।मलेवि हउ गुरु-गुरु- सुय-भोयाहिव किवेहिं महादिव-कण्णेहि शक्किवेहि घत्ता अम्हइ-मि असेस एक्के धरिय जय बहेण । जिह तियस-गइंद वालाहिएम महदहेण ॥ ८ तं णिसुणेखि अजुण्णु मुच्छ गउ गिवडिउ गिरि कुलिलाहिहउ महुमहेण पत्ते उठविउणं मंदरू महणे परिट्ठविउ किं तुज्झु जे एक्कहो दुल्लहउ महु घई पुणु काई ण वल्लहउ अवसरु ण होइ रोवेवाहो कार चित परए पहरेवाहो ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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