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रिट्ठणेमिचरिउ वेयालिय मागह सूय णवि अट्ठोत्तरु णउ वावण्ण कवि मुहु जोइउ पत्थे माहबहो परमेसर णिग्गमे आहवहो दु-णिमित्तई जाइं णियच्छियई। मई तहिं जे लाइं परियच्छियई जिम धरिट उंगणे धम्म-सुउ जिम चक्क-बूहे अहिमण्णु मुउ ८
पत्ता वलु दीसइ सव्वु-इ इय दासति सहोयर-वि । पर आयहं मज्झे दीस इ एक्कु कुमारु जवि ।।
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चाणूर-कंस-विणिवायणहो घरु दवखवंतु णारायणहो गउ पासु पत्थु तव-णदण हो ओइण्णु णिर उहु संदणहो वोल्लाविउ धम्म-पुत्तु णरेण कठ-क्खल-महुरक्खर-सरेण दीसंति असेस वि सुहि-पवर महु तु ण दीसइ एक्कु पर किय-समरे परम्मुहु कहिनि हुउ किय चक्क-चूहु पइसरे व मुउ तो कहइ जुहिठिलु अज्जुणहो अलि-लिहि-गल गालाणज्जुणहो आएसें सो महु तणेण गउ छहि जणेहिं अखत्ते ।मलेवि हउ गुरु-गुरु- सुय-भोयाहिव किवेहिं महादिव-कण्णेहि शक्किवेहि
घत्ता अम्हइ-मि असेस एक्के धरिय जय बहेण । जिह तियस-गइंद वालाहिएम महदहेण ॥
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तं णिसुणेखि अजुण्णु मुच्छ गउ गिवडिउ गिरि कुलिलाहिहउ महुमहेण पत्ते उठविउणं मंदरू महणे परिट्ठविउ किं तुज्झु जे एक्कहो दुल्लहउ महु घई पुणु काई ण वल्लहउ अवसरु ण होइ रोवेवाहो कार चित परए पहरेवाहो
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