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सत्तावण्णमो संधि
तहिं काले किरोडि जिणेवि सेण्ण जालंधरहं । गउ सरह पासु तव-सुय-जमल-विओयरहं ॥ १
__[१] अस्थइरि-सिहरू दिवसयरे गए पडिवण्णए णव-संझा-समए कइ-केउ चंड-गंडीव-धरु संमत्तग जिणेवि पय? णरु सिय-वाहोवाहिय-पवर-रहु जमलीकिय-जायव-पिय-पणहु संजमियातुल-तोणा-जुयलु कल-कोइल-किंकिणि-रव-मुहलु दुणिमित्तई ताम समुद्वियइ गिद्धई धय-दंडे परिठियई सिव असिव-सहासई आयरइ जर-पायवे वायसु करयरइ कालाहि कुहिणि छिदंतु गउ खरु वामउ हरिणु वि दाहिणउ थद्धइं णस-जालई जायाई अंगई फुरति वि-च्छायाई
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घत्ता अहिमण्णु समत्तु सउण-सहासेहिं रात्रियउ । साहुद्धउ करेवि दुमेहि णाई धाहावियउ ॥
[२] णिय-सिमिरु दिठु अ-सुहावणउ उक्कंठुलु उम्माहावणउं पवहंति परिठिय-सेण्ण-धुणि ण सुणिज्जइ वीणा-वेणु-झुणि णउ गायग-बायण-लउ वि हउ अहिमण्णु ण ढुक्कइ सम्मुह उ जणु णासइ सव्वु परम्मुहउ उ कलयलु ण-वि जय पडह रउ ४
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