SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 259
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रिट्ठणेमिचरिउ कालेण पियामह-लक्ख गय कालेण चविय गह वसु रिसय कालेण सम-त्थलु होइ गिरि कालेण विणासइ काल-सिरि कालेण गिलिय वलि-णहुस-णल दसकंधर-कुंभयण्ण पवल कालेण भरह-दसरह-पलय लवणंकुस-लक्खण-राम गय कालेण जुयक्खउ संभवइ तित्थंकर कुलयर चक्कवइ णव बासुएव वलएव णव पाविय कालेण अणेय भव ८ घत्ता मरण महा-विस-डंसेण किय-तिहुयण-भवण-णिवासेण । वित्थारिय-सठवंगेण को खद्ध ण काल-भुय गेण ॥ ९ ४ कालेण सुवण्ण-दीत्रि-पहउ पासेट वि जासु सुमन कालेण सु होतु वि खयहो णिउ कंचणमउ जणउ जेण जिउ जसु णाणा-वण्ण-समुज्जलइ धण-दिति सुबण्णमय इं जलई जहिं दद्दुर कच्छब कस्कडय झस मयरोहार सुबण्णमय कालेण अंगु अंगाहिबइ उ णावइ पाविउ कवण गइ जो देइ गिरिंद सम पहहं दस लक्ख सुवण्ण महारहह मणि-भरियहं गयवर-जोत्तियह वहु-दीणाणाहहं सोत्तियह कालेण खद्ध णामेण सिवि परिणालिय जेण सा पिहिवि घत्ता भोयणे जेण पवाहिय धिय-सिसिर-खीर-बालाहिय । पियणहं को-वि ण इच्छइ धणु देइ ण दाणु पडिच्छइ ॥ [१२] मंधाउ सो -वि कालेण मुउ जुअणासहो जो सयमेव हुउ . पारद्धि गयहो तिसिपहो गहणे दहि-चच्चिउ पल्लव-छण्णु खणे ८ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy