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________________ रिट्ठणेमिचरिउ अहिमण्णु जेम अहियह भिडिउ अहिमण्णु जेम पहरेहिं पडिउ णिय-णिय-मंदिरहं स-वाहणई सहसत्ति णियत्तई साहणई सर-णियर-भरेय-वच्छत्थलई अरि-दलिय-कुंभि-कुंभ-स्थलइ कणयइरि-सम-प्पह-संदणही आसंक जाय तव-शंदणहो घत्ता मंछुडु वालु समत्तउ कुरु-कलयल तेण महंतउ । स-सर-सरासण-हत्थहो मुहु केस णिहालिउ पत्थहो ॥ ९ ४ ८ [३] किह लग्गु कुमार पराहवहो किह वयणु णिहालिउ माहवहो वसुदेवहो किह किह देवइहे उत्तरहे सुहहहे दोवइहे तहिं अबसरे सारहि सर-भरिउ कह-कह-वि किलेसे णीसरिउ वित्तंतु असेसु तेण कहिउ परिसक्किउ जिह कुमार-सहिउ जिह कुरु-गुरुवइ राहेउ गउ जिह सल्लेहिं सलिउ सल्लु गउ जिह भग्गु माणु दूसासणहो जिह णिउ सुकण्णु जम-सासणहो जिह स-कुरुब कुरुव-कुमार जिय जिह रह गय कूडागार किय जिह विहबलु विदवलु घाइयउ जिह कण्णे गुणु दोहाइयउ घता कहिउ कहंतर एत्तिउ गरवइ परियाणाभि जेत्तिउ । उपरि जं परिसकिउ तं मई जोवणहं ण सकिउ ॥ [४] पहु पभगइ णिसुणि सुमित्त तुहुँ एक्कसि दक्खवहि कुमार-मुहु गउ सारहि मागें संदणहो रणु दक्खवंतु तव-गंदणहो कत्थ-वि करि-कुंभई खंडियई उवविसणई जेमण-छंडियई कत्थइ छत्तई महि दुक्काई कालेण व थालई मुकाई 2. After 5a extra in J. : तिम सूरतेउ तमु उहडिउ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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