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रिट्ठणेमिचरिउ
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घत्ता किं चल-णयणेहिं णिय-गुरु-विणय-पयासिरिए । सेवियई ण जाई समणिदिय तिहुयण-सिरिए ॥
[ ११] माणुसु वरिस-सयाउ पउत्तर दस वहरसे सिसु-भाउ णियत्तउ वीसेहिं बट्टेवउ परिसेसई तीसेहिं जोव्वणु अवरु गवेसइ परम-णेहु चालीसेहिं फिट्टइ पंचासेहिं लायण्णु विहट्टइ सट्टिहिं विमल-चक्खु ण विहावइ सुइ सत्तरि वरिसेहिं ण पहावइ विहिं चालीसेहिं मयणु विणासइ दसणावलि णवइहिं बिहासइ वरिस-सएण सरीरु सिटिल्लइ गत्तु मसाणोवरि टिरिटिल्लइ जीवें जाएवउ एक्कंगें
सो ण लइज्जइ केण-वि संगे सुहुमु अंणाइ-णिहणु गुण-जाणउ कत्तउ भुत्तउ उद्ध-पयाणउ
घत्ता
तणु-मेत्तउ णिच्चु कम्म-विमुक्कउ णीसरइ । तिहि समयह मज्झे अवरे कलेवरे पइसरइ ।।
[१२] तहि-मि सुक्क सोणियई पडिच्छइ जणणी-जणियाहारु समिच्छइ विणु वयणेण-वि सत्ति पदरिसइ तत्त-लोहु जिह जलु आकरिसइ पहिलए मासे एम उप्पज्जइ वीयए पुणु वुव्वुउ णिप्पज्जइ तइयए मासे पवड्ढिय-मंसउ होइ चउत्थए पुणु चउरंसउ पंचमे पंचावयवालिद्धत छट्ठए सिर-कर-चरण-समिद्धउ सत्तमे अंगुलियउ णह-रोमई णासिय-णयण-कण्ण-मुह-पोमई अट्ठमे गिद्द भुक्ख तिस जाणई णवमए भव-सामग्गी-करणई दसमए अप्पाणउ दरिसावइ कंचुउ मुएवि भुवंगभु णावइ
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