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________________ चउतीसमो संघि घत्ता ९ वरि ण किउ सु-कामु पर-जुवई साणंदियई । णा परह कियाइं दुच्चरिएहि वि णिदियई ।। [९] से ण देहु जो धम्म विवज्जिउ सा ण धम्मु जो हिंस-परज्जिउ ते ण वाल सिव-वाल-कडक्खेहि जे ण सहति लोउ रिसि-दिक्खहिं ते ण सीस पर णिम्मिउ भारउ जेहि ण पणविउ तिहुवण-सारउ ते ण कण्ण तरु-कोडर-थाणई। जे ण सुगंति धम्म-वक्खाणई ते ण चक्खु पचक्ख भुयंगम जेहि ण दिट्ठ देव-गुरु-आगम णास-उडाई ताई अ-पसंसई अग्धाइयई जेहिं महु-मंसई त ण वयणु सुंदरु सव्वंगहुँ जं बहु दुट्ठालाव-भुअंगहुँ सा ण जीह जा ण-वि पिय-वाइणि अच्छइ ललललंति जिह णाइणि ते ण उट्ट जे ण-वि विष्फुरिया जम्मण-मरणहुं कारणे डरिया घत्ता ते दंत ण दंत जेहिं अक्वद्धइं खद्धाई । ते ण-वि आलाव जेहिं ण थोत्तई वद्धाइं ॥ [१०] सो ण कंठु पर थाणु सिलेसरु जेण गाइउ देउ जिणेसरु सो ण हियउ जं जिणु अवहेरइ अप्पुणु इच्छइ इंदिय-पेरइ ते ण हत्थ धणु जेहिं ण दिण्णउं चउ-कसाय-भक्गहणु ण छिण्णउ ताम ण ते-वि अवय अंगुलियउ जेहिं जंतु इ सयलु वि दरमलियउं ताई ण सुंदराई णक्खग्गई जाई असइ-थणव-हिं लग्गइं तं ण पोटु जं गुण-परिहरियउं विविह-पयारेहिंदुरिएहि-भरियां सो ण णियंव-पएसु रवण्णउं: जो पर णारि-सएहि पडिवण्ण ते ण पाय जे ण गय सु-खेत्तई जम्मण केवल णिव्वुइ-मेत्तइ ४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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