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________________ २३८ रिडणेमिचरिउ (२२) ४ दिव्वु कवउ अजेउ बहु विक्कमु x x x सव्व-कुसलु सुमर ति वियखणु णव रणु जाणइ गुण परिक्खणु कलयल्लु करहु देहु वायत्तई धिवहो पवर-पहरणई विचित्तई चक्कई चक्क-रक्ख हय ताडहो सारहि सिंधु सरासणु पाडो जिह सिक्खक्वविउ तेम किउ कण्णे धोसिउ कलयलु कउरव-सेण्णे तुरई देवि समुत्तुय-माणहो पेक्खंतहो कुरु-खंधावारहो चक्क-रक्ख हय किवेण कुमारहो दुज्जोहणेण तुरं गम धाइय कणे जीव-लट्टि दोहाइय ८ घत्ता रहु अण्णेण सारहि अण्णेण धउ अण्णेण सय-खंडु किउ । असि फर-करु जिह विज्जाहरु करणु देवि आयासे थिउ ॥ ९ [२३] तउ किरीडि-गंदणेण अराइ-भग्ग-पंदणेण णहंगणाणुलग्गओ खगो व्व खंधे लगओ खयाणिलाणु-वेयओ दिवायरुग्ग-तेयओ विरल्लियच्छि-भीसणे विमुक्क-सीह-णीसणे करम्मि दाहिणिल्लए फणिंद-दीहरिल्लए सिला-सिओ किवाणओ कयारि-रत्त-पाणओ कयत-दंत-सच्छहो खयग्गि-जाल-दूसहो भुयंग-भोय-भीयरो विमुक्क-मुक्क-सीयरो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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