SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३६ रिट्ठणेमिचरिउ [१८] भग्गु कलिंगु कच्छु विणिवाइउ गुरु पंचासेहिं वाणेहिं छाइड सट्टिहिं किउ असीहिं कियवम्मउ वर-कणिएण कण्णु किउ णिम्मउ दोणि-विहब्बल तीरहिं तीसहि विद्ध णिसाउ रणंगणे वीसहि किरहो तुरंगम सारहि घाइय दस सर पुणु-वि उरत्थले लाइय ४ सत्तारहेहिं विद्ध विंदारउ कित वइवस-पुरवरे पइसारउ पंचवीस गुरु-सुरण विसज्जिय तेण- नित्तियएहिं परज्जिय टोणायगेण सट्ठि सर मेल्लिय तेहत्तििहं कुमारे भेल्लिय आयरिएण एक्कसर-गणे वत्तीसहि अणु विसइ कण्णे पंचहि विहवलेण दढ-वम्में दस किवण दसहि कियवम्में ते सयल-वि किय कलयल-सदें दसहिं दसहिं णिज्जिय सउहदें घत्ता वहु मावि वहु ओसारेवि वाणे रणु परियचियउ । सुरिंदहं मत्त-गइंदह दसहिं सहासहिं अंचियउ ।। ११ [१९] सव्व भग्ग पर थक्कु विहव्वल णं मयगलहो पधाइड मयगलु उरे कण्णिएण विद् णर-णंदणु तेण-वि तहो विद्ध सउ संदणु णिय तुरंगम सहु जोत्तारें छिण्ण सरासण-लट्टि कुमारे फर-करवाल-भयंकर-कर यलु आहव-कुसलु पधाइउ कोसलु ४ किउ वे-भाय खणंतरे वाले पडिउ महीयले सह करवाले हउ कण्णिएण कण्णु कण्णंतरे पुणु पंचासहिं सरेहिं रणंतरे तेण-वि तेत्तिरहिं णर-णंदणु णर-सुएण चंपाहि व-संदणु पत्ता माहेसहो पत्त-विसेसहो अम्ह केउ णामेण सुउ । सो वालहो जिह सिहि-जालहो उप्परे पडेवि पयंगु मुउ ॥ ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy