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पंचवण्णासमो संधि
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अविरल-वाह वाह-सपाहे कलुणु रुव ते कउरव-याहे पेसिय णव सामंत पधाइय जाह कित्ति जगे कहि-मि | माइय कच्छु कलिंगु णिसाउ महत्वलु दोणु दोणि किउ कण्णु कहव्वलु णवमउ जायव-वसिउ राणउ कि यवम् उ गामेण पहाणउ ४ कुरुवइ-पाय-सरोरुह-मिगे अंतरे गय-धड दिण्ण कलिंगे मत्त मयालस पउ पउ देती धुत्ति-व धरिय कुमारे एती धुत्ति-व दिट्ठि जाम फुड मारइ धुत्ति-व दूरहो हत्थ पसारइ धुत्ति-व दंत-पंति दरिसावद धुत्ति-व लहु ण पसंगहो आवइ ८
धत्ता सुणिहालइ सिरु संचालइ ढुक्कई परिओसरइ किह । करु अप्पइ हि यउ ण अप्पइ वान्हो गय-धड धुत्ति जिह ।। ९
तओ कलिंग-कुजरा किउद्ध-सुंड-भीसणा चलत-कण्ण-चामरा अणेय-घंट-राइया महण्णव-ठव मत्तया फणि-व्व कूर-लीलया णिसायर-व्व दुवया कुमार-मग्गणाहया गएहिं अंचियं रणं
पधाइया स-मच्छरा विमुक्क-घोर-णीसणा गळंत-दाण-णिज्झरा तमाल-गेज्ज-राइया गिरि-व्व पज्झरतया खल-व्व वक-सीलया रस-व्व यारि (१) पुट्टया महीयलं गया गया
वियंभयावयारणंवर धत्ता
अट्ठ सहासई रहहं । कल्लेवउ व णिसायरह।।
णव णायहें किउ वालेण
दस सय रायह एकें तालेण
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