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________________ . २३२ रिटुणेमिचरिउ [१०] वासरु एक्कु धरिज्जइ आहउ तहिं पक्खालहि सव्वु पराहउ तेण पहावें सयलु स-वाहणु धरेवि परिट्टिउ पंडव-साहणु सुरगिरि-समेण रहेण पयंडे वाराहेण महा-धय-दंडे सिंधवेहिं तुरएहिं तुरतेहिं सिल-धोएहिं पहरणेहिं फुरतेहिं ४ जेण कुमारु पइगु पएसे तं परिपूरिउ क्लेण असेसें दसहिं विराड्डु विदु ण पहुच्चइ अट्टहिं भीमसेणु तिहिं सच्चइ धट्ठज्जुणु णिरुद्ध तिहिं वीसेहिं पंचहिं दुमउ सिहंडिउ तीसेहिं पंचहिं पंचहिं पंच-वि कइकय तिहिं तिहिं दोमइ-तणय समाहय ८ घत्ता तव-र्णदणु स-धउ स-संदणु सत्तरि सरेहिं समाहयउ । अब्भझ्यहो दूसल-दइयहो देवेहि साहुक्कारु किउ ।। [११] तो तव-सुएण सल्ल-पडिमल्ले छिण्णु सरासणु एक्के भल्ले अवर लेवि धणु-लट्ठि महागुण दसहि दसहिं हय पंडु अणज्जुण तिहिं तिहिं अवर असेस-वि राणा रणउहे किय ओखंडिय-माणा भीमें भीम-परक्कम-सारे छिण्णु सरासणु भल्ल-पहारे अवरे आयवत्तु धउ अबरें दूसल-वल्लहेण लद्ध-वरें अहिणव-धणु-हत्थेण मुधीमहो सोक्करणु रहु खंडित भीमहो करणु देवि तब-तणय-सहोयरु सच्चइ-संदणे चडिउ विओयरु जे णर-सुरण छिण्ण करि-अवयव तेहिं ण मग्गु लद गय पंडव ८ घत्ता एत्यंतरे व्ह-भतरे जहिं पवणा-वि ण पइसरइ । हय-मल्लउ तहि एक्कलउ वालु अलीढए संचरइ ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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