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________________ पंचवण्णासमो संधि २३१ [८] णिहउ सुकण्णु कण्णु ओसारिउ कउरव-लोउ सव्वु पच्चारिउ हउ एक्क-रहु सुहद्दा-णंदणु लइ टुक्कहो किजउ कडवंदणु कल्लेवउ व अकाले कर तह! कवलच्छेउ म हवउ कयंतहो ४ एम भणंतु हणंतु पयट्टइ अग्गि व खड-लक्कडह बियइ गय वर-रुहिर-णइउ उद्धावहिं सुह्ड-कध-सयई णच्चावहिं तहिं अवसरे ह्य-गय-रह-वाहणु घाइउ दोणहो पंडव-साहणु दुण्णय-दुज्जस-सलिल-महद चूह-वारे थिउ ताम जयद्दहु दिण्णु तेण पइसारु ण आयहो स-जमल-भीम-जुहिट्ठिल-रायहो ८ घत्ता बलवंतेण दूसल-कतेग सु-रउद्देण पुत्र-समुद्रण पंडव-लोउ समुत्थरिउ । गंगा-वाहु णाई धरिउ ।। पुच्छिउ सेणिएण तहिं अबारे इदभूइ रिसि-विउल-महीहरे चंदुद्दड-सुंड वेयंङ-व दूसल-धत्रेण धरिय किह पंडव कहइ महा-रिसि अखलिय-धीरहो गणहरु वड्ढ माण-जिण-वीरहो सोहाहिवहो धीय रिउ-मदहो। जइयहु गउ परिणयह जयहो । होमइ विणु पंडवेहिं णिहालिय । मंड भवित्ति-वि णाई संचालिय सुणेवि विओयरेण कुढे खेडिउ । सिंघव-हु धारेवि पच्चेडिउ बंधव-सयण-सहास-पलज्जित गउ केत्तहे-वि मडफ्फर-बज्जिउ किर तउ लेइ ण लेई वर्णतरे दइवी वाणि समुट्ठिय अंवरे घत्ता किं दुम्मणु विसहि तवोवणु एत्थु-वि वज्जिय-माण-धण । समराजिरे वूहहो वाहिरे पंडव धरेवि चयारि जण ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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