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________________ २३० रितुणेमिचरिउ भिडिय वे-वि तो तहिं रणंगणे दिण्ण देव-दुदुहि णहंगणे थरहर त वाहिय-महारहा सुरवहू-कडक्खिय(?)-विग्गहा करयरंत कड्ढिय-सरासणा एक्कमेक्क-पट्टविय-मग्गणा खय-सिहि-व्व जालोलिय-दूसहा पलय-भाणु भा-भासुर-प्पहा दिस-गय.व्व ओरालि-भीसणा केसरि-व्व वत-णीसणा रामरामणोवम-घणुद्धरा जलहर-व्व वरिसिय-णिरतरा वाण-भारि-भूरेण भारिय णहयल तमेगंधयारिय पाडियं धणु मोडिओ धओ पडिभडो कुमारेण विद्धओ घत्ता वावण्णेहिं सरेहिं सुवण्णेहिं दूसासणु थण-बट्टे हउ । मउ साडेविं कउरव पाडेवि पुणु अग्गए अहिमण्णु गउ ॥ १. जं जुयराउ महावइ पाविउ दुजोहणेण कण्णु वोल्लाविउ पेक्खु पेक्खु दूसासणु जंतउ खंधावारु सव्वु भज्जंतउ पहु-पेरिउ चंपाहिउ धाइउ णर-णंदणु णाराएहिं धाइउ तरुण-तरणि णं जलहर-जालें तेहत्तरिहिं विद्ध पुणु वाले ४ जो जो अंतरे तं तं भिदेवि स-सर-सरासण-लट्ठिउ छिदेवि पत्त दिवायर-णंदण-संदणु तहि-मि मह'तु करेवि कडवंदणु सोवकरणु रहु खंडिउ कण्णहो गट्ठ णियंतहो कउरव-सेण्णहो ताम सुकेसे वाहिउ संदणु दसहि सरेहिं विद्ध णर-णंदणु ८ धत्ता सउहद्देण सुहड-विमद्देण कुडल-मडिय-गंडयलु । राहेयहो रवि-सम-तेयहो खुडिउ खुरुप्पे सिर-कमलु ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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