________________
२२४
रितुणेमिचरिउ
४
(२०) सहुँ णिय जोत्तारें चवइ जाम आढत्त खत्त परिहरेवि ताम चउ-पासिउ वेढिउ कुम्वरेहि वहु-तुरएहिं दुरएहिं रहवरहिं एक्कल्लउ एक्क-रहेण वालु। परिसक्कइ टुक्कइ णाई कालु पवियंभइ रुभइ भड-समू हु गउ फोडाफोडि करंतु बहु संचरइ समच्छरु जेत्थु जेत्थु समसुत्री णिवडइ तेत्थु तेत्थु ण घरिज्जइ मत्त-महा-गएहिं रहवरेहिं ण पवणुद्धय-धएहिं ण तुरंग-सहासेहि चंचलेहि ण गरेहि वलक्खेहि पच्चलंहि ण किवाणेहि वाणेहि हय-फरेहिं ण मुसुदि-कणय-गय-मोग्गरेहिं सव्वई तिण-समई गणंतु जाइ जगडंतु गरुडु अहि-कुलई णाई
घत्ता
९
कुरु-साहणु रह-गय-वाहणु वालहो मुहि आवट्ठइ । जेवंतहो णाई कयंतहो कवल-परंपर वट्टइ ॥
(२१) तो सयल-सत्त-संखोहणेण णिय-करि चोइउ दुज्जोहणेण णं पवर महीहरु पज्झरंतु णं काल-मेहु सीयर मुवंतु मरु संढ विहंदल-तणय थाहि सवडम्मुहु संदणु वाहि वाहि आवद्ध जुज्झु फुरियाणणाह। गंधारि-सुहद्दा-णंदणाह तो कुरु-णरिंदें मुक्कु चक्कु णर-सुएण वियारिउ तहिं जे वक्कु आमेल्लइ पहरणु अवरु जाम अइ ढुक्की हूउ कुमार ताम ओवाहिउ करि-सिरि मंडलग्गु वे भाय करेप्पिणु महिहे लग्गु
८
धत्ता
मय-कसणेण मोत्तिय-दसणेण णउ वुज्झइ अज्ज-वि जुज्झहि
अलि-मुहलिय-धारम्गेण । हसिउ राउ णं खग्गेण ॥
९ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org