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चउवण्णासमो सधि
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(२२) रणे दुज्जउ णिहउ महा-गइंदु पच्चालिउ वाले कुरु-णरि दु जाजाहि ण वाहमि मंडलग्गु तउ भीमु करेसइ मउड-भंगु तो दोणे दोच्छिय सयल राय परिरक्खहो कुरुव गरिदु छाय ण गिलिज्जइ ससि व गहेण जाम गहियाउह ढुक्कीहोह ताम तो सरहसु धाइउ कुरुव-सेण्णु परिवेटिउ संदणु साहिवष्णु असहाउ तो-वि वावरइ वालु गं माणुस-वेसु करेवि कालु हेलए जि भगा सयल-वि णरिद णं सीहे मत्त महा-गइंद अणुलग्गोवाहिय-संदणेण पच्चारिय अज्जुण-गंदणेण
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घत्ता
में भज्जहो सुरह ण लज्जहो बलहो कुलक्कम रक्ख्हो । लइ जुज्ज्ञहो पुणु कहिं सुज्झहो पुट्टि देवि पडिवक्खहो ॥ ९
(२३) तो खत्तिय रहवर गयवरोह पलह समच्छर सयल जोह दूसहेण गवहि वाणेहि णिसिद्ध दूसासणेण वारहेहि विद्ध कियवम्में सत्तहिं तिहि' किवेण विहिं राए छेहि मदाहिवेण अट्ठहिः णाराएहि विहिवलेण पंचहि गुरु-सुएण महा-वलेण दोणे सत्तारह-मग्गणेहि णं णव-तरु छाइउ अलि-गणेहि दस-दसहि विविझइ-दुग्मुहेहि अवरेहि-ति अवर-सिलीमुहेहिं ते सयल-वि दूसह-संदणेण विहिं तिहिं तच्छिय गर गंदणेण अग्गेसरु धायउ विछ कण्णु उरु भिदेवि सरु महियलि पवण्णु ८
घत्ता
मुहु वंकेयि अज्जुण-फलु
गउ आसंकेवि पेक्खंतहो कुरुसेज्णहो । दुक्खु जे केवल सव्वहो अपउ ण कण्णहो ॥
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