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चउवण्णासमो संधि
तं वयणु सुणेविणु कुइउ दोणु एक्कहो सउहदें पंच दिण्ण दस वीसहि वाले कुद्धएण अहिमपणे पुणु अ-परिप्पमाण ओसारिउ मुएवि गुरु बूह-वारु U णि वारेवि सक्किउ गरवरेहिं जोत्तारे गर-सुउ वुत्त एम ण णरिंदु ण भीमु | जमल के-वि
सरु मेल्लेवि वोझे जेम सोणु आयारए पंच-वि दसहि छिण्ण वीस-वि तीसहि कलसद्धएण किवि-कतोवरि पट्टविय वाण ४ कुरु खयहे णेंतु पइसइ कुमारु ण तुरंगेहिं रहवर-गयवरेहि लइ वेल्लि वहती थक्क देव ण धुडुक्कर पत्तु ण अवरु को-वि ८
धत्ता
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रहु वालमि किय पडिवालाम बग-हिडिव-जम-गोयरु । गय-हत्य उ समर-समत्थउ पावइ जाम विओयरु ।।
[१९.) तं वय सुणेवि रोसिय-मणेण णिय-सूउ वुत्त णर-गंदणेण थक्कउ थक्कउ सय-वार वेल्लि रहु जाउ तुरंगम मेलिल मेल्लि किर कउरव संढह कवणु गण्णु कि सीहतो कवणु सहाउ अण्णु जइयतुं वर-वइरि-पुरजएण विउ राहावेहु धणंजएण जइयहु जिउ खंडवे अमर-राउ जइयहु विणियत्तिउ कुरुव-राउ जइयहं तव-तालुय-कालकेय स-णिवायकवत्र कप्पिय अणेय जइय हुं जिउ गोग्गहे भड-णिहाउ तइयतुं तर्हि तायहो को सहाउ छुडु होंतु सहेज्जा वाहु-दंड कुरु किं करति सुट्ट-वि पयंड
धत्ता रहु चोयहि वालेवि म जोयहि अच्छउ भीमु स-भायरु । छुडु खंड होउ तरंडउ काई करइ रिउ-सायरु ॥
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