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रिठ्ठणेमिचरित
मोक्कल्लिउ धम्माणंदणेण णं कुलिस-दडु सक्क दणेण पय-रक्ख करेविणु के-वि के-वि अप्पुणु-वि चलिउ आसीस देवि परिवढिउ वलु जसवंतु होहि विद्धंसहि दुद्धर वर विरोहि जय ताय भणेवि पयट्ट वालु णं कउरव-रायहो पलय-कालु ४ ण णिहालिउ जिह तव-णंदणेण उद्धाइउ एक्के संदोण गुरु-गंधवहु य-धयवडेण णाणाविह-पहरण-स'कडेण खर-खुर-खय-खोणि-तुरंगमेण तडयड-तुत-भुयंगमेण डोल्लाविय-समहि-महीहरेण . जव-झाल-झलाविय-सायरेण
घत्ता ओधाविय झत्ति चडाविय चाव-लट्ठि णिय-कर यलेण । णं खुद्दहुं कुरुहुँ रउद्दहु वंक भह किय कालेण ॥ ९
गउ पयई वीस किउ संपहारु णं वरिसइ घणु अणवर य-धारु णं पलय-पहायर किरण-घोरु णं धुय-केसर केसरि-वि सोरु दीहर-णाराएहि लइय जोह स-तुरंगम रहवर गयवरोह साहारुण वधइ चक्क-वूहु णं रुद्ध मइंदें हरिण-जूहु त णिएवि जणद्दण-भाइणेउ पहरंतु रणंगणे अप्पमेउ णिय-मणे परिओसिउ कलसइंधु ण णव-चंदुग्गमे लवणसिंधु णिय-गंदणु णिदिउ वलेवि दोणि तुम्हारेसु पइसइ किण्ण खाणि सिविखज्जइ धणु ता एण जेवं तोसाविय रण-मुहे जेण देव
२ण
८
घत्ता
सरु लेप्पिणु जिमु ओसरु
कालापण
ताय णवेप्पिणु गुरु पच्चारिउ वालेण । जिम्व रणे उत्थरु सुमरिउ जुय-खय-कालेण ॥ ९
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