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चउवण्णासमो संधि
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एत्तहे-वि समुट्टिय-कलयलाई भिडियई परिओसिय-अच्छराई अवहत्थिय-मरण-महा-भयाई सोवण्ण-रहंग-महारहाई दिदु णिरवि स-दोणउ चक्क वूड विच्छाय-वयणु थिउ धम्मु-पुत्त तिह करि जिह बंधव जसु लहति
दणु-दारण-पहरण करयलाई कुरु-पंडव-वलई स-मच्छराई दुप्पबण पपेल्लिय-धय-सयाई अणुदियहोहामिय-भाग्हाई चिताविउ पंडव-भड-समूहु गर-णंदणु संदणु घरेवि वुत्तु जिह णर-णारायण णउ हसति
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घत्ता
गय मारेवि तुहूं अग्गए.
गुरु ओसारेवि पइसरु वृहुहो वारेण ।
अम्हईपच्छए जुझहुँ एण पयारेण ॥
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त बयणु सुणेवि भणइ कुमार हउ भिंदमि वृहहो तण' वारु अज्जुणहो पसाएं गुणिउ चक्कु । णीसारु ण जाणमि णवर एक्कु तो वुत्त हिडिवा-पिययमेण मई भीमें भीम-परक्कमेण सहएवे णउले तव-सुएण सइणेए सुस्-कस्-िकर-भुएण वहु-सोमय-सिंजय-कइकएहि पंचाल-विराड-घुडुक्कुएहि तुहु रणे रक्खेवउ एत्तिरहिं ओपहिं अवरेहि-मि खत्तिएहिं तुम्हह आएसें करमि एउ तो पभणइ भदिय-भाइणेउ आवग्गिय महि तउ ताय देमि ओसारमि गुरु कुरु खयहो णेमि ८
घत्ता
णिच्चिंतउ घट्ठज्जुणु
होहि सइत्तउ अच्छउ अज्जुणु
मंड महा-सिरि आणमि । भारहु हउ जे समाणमि ।। ९
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