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________________ चउवण्णासमो संधि २२१ एत्तहे-वि समुट्टिय-कलयलाई भिडियई परिओसिय-अच्छराई अवहत्थिय-मरण-महा-भयाई सोवण्ण-रहंग-महारहाई दिदु णिरवि स-दोणउ चक्क वूड विच्छाय-वयणु थिउ धम्मु-पुत्त तिह करि जिह बंधव जसु लहति दणु-दारण-पहरण करयलाई कुरु-पंडव-वलई स-मच्छराई दुप्पबण पपेल्लिय-धय-सयाई अणुदियहोहामिय-भाग्हाई चिताविउ पंडव-भड-समूहु गर-णंदणु संदणु घरेवि वुत्तु जिह णर-णारायण णउ हसति ४ घत्ता गय मारेवि तुहूं अग्गए. गुरु ओसारेवि पइसरु वृहुहो वारेण । अम्हईपच्छए जुझहुँ एण पयारेण ॥ ८ त बयणु सुणेवि भणइ कुमार हउ भिंदमि वृहहो तण' वारु अज्जुणहो पसाएं गुणिउ चक्कु । णीसारु ण जाणमि णवर एक्कु तो वुत्त हिडिवा-पिययमेण मई भीमें भीम-परक्कमेण सहएवे णउले तव-सुएण सइणेए सुस्-कस्-िकर-भुएण वहु-सोमय-सिंजय-कइकएहि पंचाल-विराड-घुडुक्कुएहि तुहु रणे रक्खेवउ एत्तिरहिं ओपहिं अवरेहि-मि खत्तिएहिं तुम्हह आएसें करमि एउ तो पभणइ भदिय-भाइणेउ आवग्गिय महि तउ ताय देमि ओसारमि गुरु कुरु खयहो णेमि ८ घत्ता णिच्चिंतउ घट्ठज्जुणु होहि सइत्तउ अच्छउ अज्जुणु मंड महा-सिरि आणमि । भारहु हउ जे समाणमि ।। ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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