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________________ रिट्ठणेमिचरिउ णीसारु ण जाणइ पत्थ-पुत्त आवट्टइ आहवे सो णिरुत्त तहं पासि विओयरु कह-ब थाइ तियसिहि मि तो-वि धरणहा णजाइ परिकुविउ जयद्दहु णिसुणि ताय हउं घरमि चयारि-वि पंडु-जाय अत्थमइ जाम अ-हिमयर-चक्कु छुडु अज्जुणु पासि ण होइ एक्कु ४ गलगजिउ ताम तिगत्तएहिं णर-सर-सय-सल्लिय गत्तएहिं अहिणव-णिवद्ध-वण-पट्टएहि रण-व-परिगणह पयट्टएहिं अम्हिहि-मि धरेवउ परइ सत्थु तं रण-भर कड्ढेवि को समथु अइकंते दिवसे' जेत्तिय-ज्जे एहि परिवारा तेत्तिय-ज्जे धत्ता पच्चेलिलउ सव्वेहि बोलिउ जाएवि पत्थहो अग्गए । जहि ढुक्कहि तो णउ चुक्कहि रहे धए धणुहे अ-भग्गए ॥ ९ [१३] पडिवालिउ णड उठंतु सूरु देवाविउ वले संगाम-तूर कुरु-खेत्तु पगच्छिउ कुरुव-राउ थिउ रण महि मंडेवि साणुराउ तो दोणे विरइउ चक्कवृहु णियमिउ हय-गय-रह-भड-समृहु एत्तहे-वि जुहिट्ठिलु सहु वलेण हय-तुरे पसरिय-कलयलेण अ-हिमयरुग्गमे कुरु-खेत्त दुक्कु णं जलणिहि णिय-मज्जाय-चुक्कु एत्थु-वि पर-वइरि-पुरंजएण पभणिय सामंत धणंजएण तुम्हई रक्खेज्जहो एक्कमेक्कु किउ दोणे दुप्परियल्लु चक्कु अहो वा-हिडिंब-किम्मीर-सीम तुहुं वालु पयत्ते रखु भीम ८ धत्ता अप्पाहेवि रहवर वाहेवि जय-सिरि-रामासत्तउ । ओरालेवि धणु अप्फालेवि अज्जुणु भिडिउ तिगत्तहु ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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