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चउवण्णासमो सधि
[१०] चंदुग्गमे सुहि-सउणधिवेण गुरु गरहिउ कुरुव-णराहिवेण केत्तिउ वोल्लिज्जइ ताय तुझु सम्भाव-विहींणउ करहि जुज्झु णउ फिट्टइ पंडव-पक्खवाउ सुविणे-वि ण चितिउ को-वि दाउ जहिं तूसहि तो देव-वि अदेव तव-सुउ ण लइज्जइ अवखु केव तो गुरु-मुह-कुहरुच्छलिय वाय मा दुप्णय-पायउ फलउ राय विस-जउहर-जूय-कयग्ग हेहिं . वण-वसण-मच्छविहि-गोगटेहिं परिपक्क हो गयउ अण्णाय-रुक्खु सो अवसे एवहिं देइ दुक्खु सरि-सुय-पमुहह एयारिसाह एह जे अवत्थ अम्हारिसाह
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घत्ता
णरु जेत्तहे सई हरि तेत्तहे जहिं हरि तहिं महि जिज्जइ । विहिं आएहिं समर-सहाएहिं तव-सुउ केम लइज्जइ ।।
[११] णेयारु जाह सई लोयणाहुं पंडव मारतहु कत्रणु गाहु एत्तडउ गराहिव करमि तो-बि जइ सक्कइ अज्जुणु घरेवि को-वि तो परए समुट्ठमि चक्क-बू हु जर्हि खयहो जाइ णरवर-समू हु पई णाहि करेप्पिणु कुरु-णरिंदु पहिलउ जे थवेवा दुह-इंदु वारह वारह गय रक्ख देवि हय तीस तीस रहे रहे धरेवि हए हए पय-रक्वह सट्टि सहि जे समर-सएहिं ण दिति पट्टि फरे फरे धाणुक्कह णव णव-बि पच्छाउ हु जे चलंति पउ-वि थिउ एण पयारे अरउ एक्कु उप्पज्जइ अरय-सरण चक्कु
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धत्ता
तं तेहउ सुर-गिरि जेहउ जिम णर-सुउ अिम भीमहो सुउ
चक्क-बू हु पारंभइ । विहि-मि सक्कु जिवं लभइ ।। ९
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