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तो कण्णहो भाइ महाणुभाव मारेष्पिणु भीमें परिणिसिद्ध तहि अवसरे पवर- वलुत्तणेण णिय रहहो महीयले झंप देवि ससिधम्मउ णइसहु वहदखत्तु णु लेवि तिसत्ति- सरेहिं कण्णु चउसट्टि सिणिणंदणेण विद्धु परिरक्खिर सोहि कउरवेहि
तहि अवसरे विडियए वासरे निसि-धुत्तिए
असइ पहुत्तिए
अत्थमिए पयंगे स वाहणाई भड - कडवंदण-पिह-मुहाई मिहुणाई व पुट्ठि परम्मुहाई मिहुणाई व वहुरय- रंजियाई मिहुणाई व णिच्चुक्कंघलाई मिहुणाई व पाविय चेयणाई
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मिहुणाई व पच्छर णीसराई मिहुणाई व पहरण- खेड्याई मिहुणाई व अइ-पासेइयाइ'
दिनणिग्गमे
तमु धाइउ
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[ ८ ]
धत्ता
तडि - रवि-पहु असि फर- रयणु लेखि ४ तिण-वि पट्टविय कयंत - जत्तु चउपासिर सलहेहिं गिरि व छण्णु तिर्हि उर-भुय हय ( ? ) त्रिर्हि णिसिद्ध पशुविसरिंदे पंडवेहि
रवि-राहा - सुय णिग्गय-पयात्र चंपाहिउ चउदह- सरेहि वि सेणाहित्रेण धट्टज्जुणेण
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रयण-समागमे
कहिमि ण माइउ
रिमिचरिउ
ढुक्क भाणु अत्थवणहो । धरिउ पाई णिय-भवणहो ||
धत्ता
विष्णि-वि कुरु- पंडव - साहणाइ पल्लई सिमिरहो संमुहाइ मिहुणाई व चेट्ट-विवज्जियाई मिहुणाई व पसरिय वेयणाई मिहुणाई व पहर-विसंटुलाई मिहुणाई व पसरिय वेयणाई मिहुणाई व जज्जरिओसराई मिहुणाई व लाइय- हयलाई मिहुणाई व मिट्टिय-सर-सयाई
उपरि गयणाहोयहो । दुज्जसु णं कुरु-लोयहो |
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