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________________ चउवण्गासमो संधि जं णिहय सहोयर फागुणेण सुर भुवणुच्छलिय-महा-गुण तं घाइउ सउवलु हणु भणंतु वहु-माया-रूवई दववंतु णइ सायर आसुर आमराई। कापिंजलं गारुड भामराई , घाइउ बारह सई भुअंगमाई कारेणव णव तुरंगमाई आयइ अवरइ-मि विणिम्मियाई णर सरवण-सोणिय-तिम्मियाई णासेप्पिणु कहि-मि गयाइं ताई मग्गण-हस्थि णिरत्थई दिति काई पेक्खंतह किव-चंपाहिवाहं अवरह-मि असेसहं पस्थिवाह गउ पाण लएप्पिणु सउणि-मामु दुजोहण-दोणह तणउ थामु धत्ता चडुलंगेहि जवण-तुरंगेहिं पत्थहो अग्गए वावरइ । णह-छित्तउ लाला-लित्तउ हरिणु मइंदहो णावइ ॥ ९ ८ णरु धरेवि ण सक्किउ दुरेहिं भयवत्त-समप्पह-पत्थिवेहिं भंजंतु असेसेई वलई जाइ णं जलहर-जाल' पलय-त्राउ णं सिहरि-सम्हई कुलिस-दंडुः ण धरिजइ दारुण-वारणेहि ॥ धरिजइ पवर-तुरंगमेहि ण धरिज्जइ कुरुव-णराहिवेहि पारायण गण-जालंधरेहि विसयावल-सउणि-णराहिवेहि तंवेरम-जूहई सीहु णाई णं पण्णय-कुलह बिहंग-राउ णं कमल-वणई गउ गिल्ल-गंडु ण धरिज्जइ रहेहि पुरोवमेहि ण धरिज्जइ अवरहि पस्थिवेहि. ८ स-जणद्दणु स-सणिच्छर पंडुहे गंदणुः सव्व-लोय-भय-गारउ । वढिय-मच्छरु वियरइ जिह अंगारउ ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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