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चउतीसमो संधि
धम्मेण गरिंद विणु एक्के तेण
धत्ता पाएहिं पडइ पुरंदरु-वि थाइ परम्मुहु कुलहरु-वि ॥
दुज्जोहण-जणेरु पडिजंपइ परम--धम्मु सो केण विढप्पइ कहइ गरिंदहो विउरु सणेहें धम्मु विढप्पइ अप्पण-देहें धम्मु विढप्पइ विविह-पयारेहि अज्जव-सच्च-सउच्चायारेहि धम्मु विढप्पइ सुह-परिणामें भत्ति पुत्र-गुरुदेव-पणामें धम्मु विढप्पइ खम-दम-भावे उज्जम-संजम सील-सहावें धम्मु विढप्पइ उत्तम-बुद्धिए काय-वाय-मण-कम्म-विसुद्धिए धम्मु विढप्पइ दंसण-णाणे । आगम-अभयाहार-पंदाणे धम्मु विढप्पइ बहु-उववासेहि आएहि अवरेहि-मि विण्णासेहि
घत्ता अह किं वहुएण छुडु जाणिज्जउ धम्म-विहि । धम्मेण जे राय लमइ अक्खय-सुक्ख-णिहि ॥
धम्मु विढप्पइ पंच-पयत्थेहिं हिंसालिय-चोरी-थी-गंथेहि कवण हिंस इंदिय-विद्धसणे . काम-कोह-मय-मोह-विणासणे कवणु असच्चु पाणि-परिरक्खणे सव्वस-हरणावसरे अणक्खणे चोरिय कवण धम्म-पच्छायणे णिय-गुरु-अवगुण-सम-सम्मायणे मेहुणु कवणु सिद्धि-पाणिग्गहे कवणु परिग्गहु गंथ-परिग्गहे एंव विढप्पइ पंचहि भेयहिं कवणु धम्मु जो होइ ण एयहि धम्महो लक्खणु एत्तिउ सीसइ अप्पउ परेण समाणउ दीसइ पंचहुं एम सुरक्खणु किज्जइ चितिउ तहि-मि धम्मु पाविज्जइ
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