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तिवाणा ज़मो संधि
[११] वेदिउ कंधु करेण करिदे णं गिरि-मंदरू महणे फर्णिदे कह-वि कह-वि ल्हिक्कवियउ अप्पउ कहि-मि ण दिछु जेम परमप्पउ पुणु पइठ्ठ चउ-चरणब्भंतरे पडिउ सरेवि थक्कु दूर तरे गउ गउ भीमसेणु उच्छणउ पंडव-लोउ सन्वु आदण्णउ ताम जुहिट्ठिलेण लेवाविउ मत्त-महागएहिं खेयाविउ रह वर-पवर-तुरय-पाइक्केहि तरु-पाहारू सिलेहि स-सिलिक्केहि जो भयवत्त वइरि मंधारइ अंकुसेण पहरण शिवारइ जो जो दुक्कइ तहो तहो पावइ पाडिय गय णिय गय चूरावइ
८
धत्ता
उल्ललइ पयट्टइ चलइ विसट्टइ एक्के भयवत्ते भमइ भमंते
खलइ णियत्तई पंडु-बलु । मंदर-हउं गं उवहि-जलु ॥
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ताम दमण्णएण करि चोइउ के-वि महागय भिडिय परोपरु दंत-धाय-कर-धाय-विलासेहि सत्तहि तोमरेहि भयवत्ते पुणु-वि जुहिट्ठिलेण वेढाविउ सच्चए भिडिउ भयत्तए मयगले । घुम्ममाणु पडिवारउ चोइउ थिउ ओसरेवि जिणेवि ण सक्किउ जेत्तहे जेत्तहे रणे परिसक्कइ
णं णिय-दंडु कयंतें ढोइउ जाउ महाहउ तोसिय-सुरवरु पुच्छ-धाय-कम-धाय-सहासेहि पसिउ जम-सासणु खण-मेत केवल-रहवरेहिं वड्ढाविउ पचहिं सरेहिं विद्ध कुभत्थले धाइउ गाई जमेण अवलोइउ वारणु पहरण-लक्खेहि ढक्किउ तेत्तहे तेत्तहे के-वि ण थक्कइ .
८
घत्ता
तहिं काले विओयरु तो सवि विवेरा
स-सरु-घणुद्धरु भीमहो केरा
घाइउ अण्णे रहवरेण । भग्ग तुरंगम गयवरेण ॥१०
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