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________________ २१० रिदृणेमिचरिउ तहिं पमाणे परिवड्डिय-गव्वउ धाइउ हणु भणंतु रुइपव्वउ एक्के तोमरेण भ्यवत्ते जम-पट्टणे पट्टविउ पयत्ते तो स-रहसु भय-पसर-विमुक्कउ चेइयाणु अहिमण्णु चुडुक्कर धकेउ धज्जुणु धाइउ पंडि सिह डि जुजुच्छु-पराइउ पंच पुत्त पंचालिहे केरा ओए-वि अवर-वि वि अहिअ हणेरा ताम जुजुच्छुहे सारहि धाइउ रहे अहिमण्णु-हिंडिवय-धाइड दस-दस सर एक्केक्के पउंजइ चेइयाणु चउसट्टि विसज्जइ जं अवरेहि-मि, लइउ अखते तहिं तहिं सव्वु विद्रु भयवत्ते ८ पत्ता ओसरइ स-वाहणु पंडव-साहणु णिम्मज्जायहो कुजरहो । अवलोयणे थक्कहो णासइ एक्कहो जगु जिह पलय-सणिच्छरहो ।।९ णिमुणेवि रह-गय-तुरय-वरेण्णह कलयलु पंडव-कउरव-सेण्णह रण-रउ अवरु भयंकर पेक्खेवि आउ किरीडि कवघई लखेवि जालंधर-रण-भोयणु भुजेवि जे उत्वरिय ताह' सुर जुजेवि पच्छर लग्गु समुक्खय-पहरण संसत्तग तिगत्त णारायण ४ चउदह दह चालीस पगासइ । तिहि-मि गणहं च उसट्टि सहासई अवरह केण संख पुणु वुझिय जे सहुँ अज्जुणेण रणे जुझिय मरु-मालव-हिरणपुर-वासिय मेहल-तामलित्त-णच्चासिय पच्छल-कामरूव-कंभीरा दलय-चिलाय-कुणिंद-कुणीरा ८ छत्ता एक्केक-पहाणा अवर-वि राणा अणुधाइय एक्कहो जणहो । दीहर-दाढालहो णहर-करालहो हरिण जेम पंचाणणहो ॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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