________________
२०८
रितुणेमिचरिउ
तो तंडविय-कण्णु उब्भिय-करु मय-परिमल-मेलाविय सडयणु पायवीढ कंपाविय महियलु पुक्खर-छित्त-दिवायर-संदणु चरण-चार चूरिय-अहि-चुभल्लु सो भयक्त्ते चोइउ चंदिर सारहि करणु देवि थिउ रे
दाण-महाणइ-उक्खय-वण-तरु सीयर.धारा-सिंचिय-सुरयणु कुंभ-मडलुच्चाइय गह यलु दंत-धाय-घोलिय-संकंदणु पुच्छ-धाय-धाइय-पच्छिम-बलु रहु सतुरंगमु जिउ जम-मंदिरु लइउ भोमु काले ण कूरे
८
घत्ता
पयणंगय-गयवर हा(?) चउपयवर भिडिय परोप्पर वे वि जण । गयणंगण छडेवि थिय महि मंडेवि णं संचारिम पलय-धण ॥ ९
[१०] एक्कु विओयरु तिणि रणुज्जय सुरवर-समर-सहासेहिं दुज्जय वजकुस-भयवत्त-महागय
णव-णाव-णाग-सहस-वल-संगय तिण्णि-वि एक्कु णाई करि होएवि। अप्पाणेण जि अपउ चोएवि घाइउ मयगलु मच्छर-भरियउ भीम-भुयग्गल-वेढें धरियउ ४ सो-वि महागय लील-विलविउ सुरवहु-णयण-ममर-परिचुंविउ वाहु-विसाणु पयाउ-महाकरु घाय-दाणु पवणंगय-गयवरु वेज्झउ देइ ओसरइ ण छप्पइ(?) खणे पडिमाणे थाइ खणे पच्छए भमइ चउद्दिसु मत्त-गइंदहो विज्जु-पुजु ण जलहर-विंदहो ८
धत्ता
चउ-चरणभंतरे जगु उप्परि देप्पिणु
छुद्ध खणंतरे आयामेप्पिणु
वियरइ भीमु ण वीसमइ । णाबइ कुम्मु परिन्भमइ ॥ ९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org