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________________ तिवण्णासमो संधि २०७ तो दुजोहण-वाहिणि-वाहणु भीमें भग्गु महागय-साहणु धाइउ कुरुव-राउ तहिं अवसरे कुइयउ कयं तु णाई खय-वासरे विद्ध विओयरु उरे णाराएं वह-वि कह-वि महि पत्तु ण धाएं एक्के भरले कुरुवइ ताडिउ अवरें स-धणु महा-धउ पाडिउ ४ च पाहिवइ चडेप्पिणु कुजरे थिउ दुज्जोहण-भीमहुँ अंतरे कण्ण-विओयर भिडिय महावल कुती-सुव कुरु-पंडव-वच्छल रहबरु पाविउ ताम विसोएं दिट्ट असेसें णरवर-लोएं णं केसरिहिं महीहरु दुज्जउ णं दइवहो ववसाउ साहेजउ ८ घत्ता रहु सारहि पावइ बंधउ आवइ मण-गयणुत्तम-घोडएहिं । जय लच्छि विढप्पइ पर-वलु कंपडू एउ ण पुण्णेहिं थोडएहि ।। ९ 10 ४ ते महि-कारणे रणे पहर तें कण्ण-महाकरि-मत्थउं दारिउ तहो आइच्च-सुयहो पेक्खंतहो लहु जुत्तारें पाविउ संदणु धाइउ पंडु-पुत्त बहु-वाणेहि विहि-मि परोप्पर छिण्णइं चावई भीमें भीम गयासणि भामिय भुक्खिएण जगु कवलु करते अवसरु लहेवि हिडिवा-कते पच्छिम-भाएं सरु णीसारिउ सिरु आरोहहो खुङिउ रसंतहो तहिं आरूदु दिवायर-गंदणु तेण-वि सो अणेय-परिमाणेहिं सरवर-जालई कियई अभावई भडह भवित्ति णाई संकामिय जीह ललाविय णाई कयं ते ८ पत्ता धुर-धरण-महाइउ भीमहो गय-धाए सारहि घाइउ दइव-विहाए हय तुरंग रहु जज्जरिउ । अंगराउ पर उव्वरित ॥ . ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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