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________________ रिठ्ठणेभिरि [५] तो दुज्जोहण-णयणाणदणे किय-दप्पुब्भड-भड-कडवंदणे विविहाहरणेहिं विचित्त-पसाहणे वियरइ भीमु महागय-साहणे कालायस-घडिएहिं अपमाणे - के-वि महा-करि चूरिय वाहणे काह-मि णीणिय पच्छिम-भाएहि चूरिय के-वि भुयग्गल-घाएहिं काह-मि वलइ धाइ पडिलग्गई काह-मि करि-सिरि खंधे वलग्गई काह-मि झंप देइ कुभोयरि कडूढइ मोत्तियाइं जिह केररि के-वि गयासणि घाएहिं घाइय के-वि किवाणे जम-पहे लाइय एक्के भीमें गयवर लक्ख कियई रणगणे सूडिय-पक्खई ४ ८ घत्ता लक्ख-वि आवइ महिहे पयइ घार घाए पवणंगयहो । णं करेहिं मलेप्पिणु कवलु करेप्पिणु देइ कयतु महागयहो ॥ ९ ४ तो तहिं विओयरेण आहउ करी-करेण मोडिय रहु कड-त्ति चूरिय सिर तड-त्ति मोत्तिया समुच्छलंति तारया-छवी वहति अंबरे वरंगणाहिं णच्चिय सुरगणाहिं अण्णओ णिलग्गएण भग्गओ गओ गएण आहओ हओ हएण पाडिओ धओ धरण चूरिओ रहो रहेण आउहो वराउहेण लेवि वद्ध-मच्छरेण घाइओ णरो गरेण घत्ता को-वि करि आहयणहो धित्तउ गयणहो एंतु समाहउ गयवरेण । णव पाउस-डंवरे कत्तिय-अंवरे णं णव-जलहरु जलहरेण ॥९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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