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तिवण्णासमो संधि
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तो रण-रहसे' कह-मि ण माइउ मत्त-गइंदेहिं रिउ जगडाविय णच्चाविय कबघ वहु-भगेहिं गय मयगल रुलं ति मस्थिक्केहि वियलिय-पहरणे चूरिय-वाहणे ममीसंतु सुहड स-मडक्कउ णं मयगलु दुवालि लेवारिउ ण अजलंतु जलणु संधुक्किउ
हणु भण तु दुजोहणु घाइड भिण्णइं जूहई धड विह डाविय रंगाविय रह-रहिय रहगेहि हय हय रहिय रहिय पाइक्केहिं ४ तहिं भज्जंतए पंडव-साहणे जमु जिह एक्कु भीम पर थक्कउ म सुत्तउ मइंदु वेयारिउ ण खय-काल-दंडु उबढुक्किउ ८
घत्ता
रायजण-मज्झे समरे असञ्झे इह-पर-लोय-विरोहणहो । वोलाविउ सारहि रहवर सारहि छत्तई जहिं दुजोहणहो ॥ १.
__रहवर वाहि वाहि लहु तेत्तहे गय-धड णिविड परहिय जेत्तहे
त णिसुणेवि सारहि उच्छाहिउ अरिय-विमद्दणु सदणु वाहिउ भीम-महा-भर-वहणासक्कई रहु पक्खलइ चलति ण चक्कई णिय मुहरं गेहि पवर तुरगम सुडिय-पक्व किय गाई विहंगम ४ घाइउ झंप मुएवि धुरग्गले सारहि रहु आणिज्जइ पच्छले हजि महारहु चलण जे चक्कई जाइ वह तई कह-मि ण थक्कई रोसु जि सारहि हियउ जे चिंधउ ज गुरु-गय-धड-गंध-पइद्धउ लउडि जि रह-धुर हत्थ जे घोडा जे दप्पुब्भड-सुहड-णिहोडा
धत्ता णिय-देहु जे रहवरु करेवि विओयरु धाइउ स-धणु स-पावरणु। णं हत्थि-हडोहह कउरव-जोहहं दुक्कीह्वउ जमकरणु ।। ९ ।।
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