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तिवण्णासमो संधि दुजोहण-भीमह भीयर-भीमह जाउ महाहउ दुबिसहु । अविरल मिणमाणेहि(१) अवर विमाणेहिं ण वाहिउ(?) गगण-बहु ॥१
वसुमइ-कामघेणु-संदोहण दुम्मरिसेण ताव हक्कारिउ कियवम्मेण वरिउ सिणि-णंदणु पेक्खंतहो कउरव-संधायहो तहिं अवसरे ओवाहिय-संदण कह-वि जुजुच्छु कडय-सण्णाहउ तो कर-करिसिय-स-सर-सरासण सल्ल-जुहिट्ठिल भिडिय परोप्पर
णिभय भिडिय भीम-दुज्जोहण वलु पंडव कहिं जाहि अमारिउ खत्तधम्मु सेंधवेण स-संदणु धउ घणु छिण्णु जयदह रायहो ४ भिडिय वे-वि धयरट्ठहो णदण स-सिरउ हय सुवाहुहे वाहउ । विण्णि-वि भिडिय णउल-दूसासण जाउ विहि-मि संगामु भयंकरु ८ .
घत्ता
भुयइंद-पमाणेहि पंचहि वाणेहिं विद्ध राउ मद्दाहिं वेणे । चउसटिहिं ताडिउ कह-वि ण पाडिउ सल्लु-वि पंडव-पत्थिवेण || २
[२] तव-सुय-कुरुवराय-पाइक्कहं . रणु पडिलग्गु दुमय-वल्हिक्कह उन्भड-सुहड-मडप्फर-साडहो भिडिय विद-अणुविद विराडहो खेमवित्ति विमएण घरिज्जइ चेइउ अबढेण वरिज्जइ विद्धखेमु गउतमेण णिवारिउ धट्ठज्जुणेण दोणु हक्कारिउ ४ अंगाहिकहो सिह डि विरुज्झइ गुरु-सुरण पडिविंझु णिरुज्झइ अंगय-उत्तिमोज ओवडिया दुम्मुह-पुरुजि परोप्पर भिडिया .. धाइउ सोमयत्तु मणिवतहो दूसासण-सुउ उत्तर-कंतहो अक्खुइ सुय-कित्तिहे उवदुक्कउ आरिससिगिहे भिडिउ घुडुक्कउ ८
घत्ता विहिं विहिं साम तह उण्णवंतह एम भयंकर जाउ रणु । दीसइ रुहिरोलिउ गं पप्फुल्लिड फग्गुणे रत्तासोय-वणु ॥ २.
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