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वावण्णासमो संधि
तव - णंदण-संदण-संगए हिं घट्टज्जुणु घाइउ मणंगमेहि वाहेहिं सिहंडि पउम पहेहि अरुणेहि' जुहमण्णु सेउत्तमाज्जु सच्चइ कलहाय - समुज्जलेहि पडिविझु परिट्ठिउ गंपि पुरउ सत्तहि-मि पराइउ साहिमाणु अवरेर्हि अवर णाणाविहेहि
तं पेक्खेवि पर वलु सई भुएहि विओयरु
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घवलंग-णील-वालाहए हि
पारात्रय-वण्ण- तुरंग मेहिं
सुअसम्मउ सिहि गल - सच्छहेहि इंदाउह-वण्णेहिं कांतिहे।ज्जु अहिमण्णु पिसंगेहि चंचलेहि जरजीव-जीव वस- कण्ण तुरउ कउसे य-सवण्णेहिं चेइयाणु मंजिट्ट - कीर चंचुय. णिहेहि
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धत्ता
पसरिय- कलयल
रिउ जम- गोयरु
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इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय सयंभुव कए । बाण्णासमो इमो परिसग्गो समत्तो ॥
वंधव - सयंण विरोहणेण । आयामिउ दुज्जोहणेण ॥ ९
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