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तर्हि अत्रसरे णयणाणंदणेण पउमावइ-दोणाओहणेण
गुरु पेक्खु पेक्कु रणे वावरंतु सोमय सिंजय कइकइ कहांतु
णं हरि करि जमउरे पङ्कवंतु णं इंदु गिरिदह असणि हिंतु
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एक्कल्लउ वट्टई पवशु जाम दुज्जोहण वयण विरामे कण्णु
य-कुल- णह-पेंसर
णिय एक्aहिं पडिलग्गए
किं धरिउ विओयरु वावरं तु अहिमण्णु घुडुक्कउ दुमउ पंडि परिक्खु नियय-गुरु कुरु- वरेण्णु तं णिसुणेवि हय-गय- रहवरेहिं पंडवहि-मि परिमिउ भीमसेणु णं णहयर णाहु विहंगमेहि परिरक्खिउ रहवरु कुवरत्थु वेरुलिय-महाविधय-सणाहु
सेो भीमु समच्छरु कहि जाहि जियंतङ
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(१९)
घत्ता
महि - परमेसर
भीमे अभग्गए
गंधर- सम-संदणेण रविपुत्त वुत्तु दुज्जोहणेण
ण स-घणु महा-घणु उत्थरंतु ण वणदउ तिण-तरुवर डह तु णं पणु पओहर गिट्ठबंतु णं गरुड्डु भुयंगम खयहो किंतु किं तेण घरिज्जइ समरे ताम पभणइ चामीयर - णियर वण्णु
रिमिचरिउ
धत्ता
तोसिय-अच्छरु
एभ भणतउ
खद्धउ कउरव सेण्णु गये । दोगे को त्रिण भग्गु रणे ॥ ६
( २० )
गय- घाएहिं गयबर जज्जरंतु धट्टज्जुणु सिणिणंदणु सिह डिझ पीडिज्जइ जाम ण कुरुव-सेण्णु रक्खिउ कलस-द्रउ कुरु-गरेर्हि ४ णं पवर - गिरिदेहि सुर-करेणु णं सेसु असेस भुवंग मेहि
स- जडासुर-ग-जगडण-समत्थु जय - जोत्तिय-रीरी-वण-वा
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भामिय-गरुय-गयाउहउ | धाइ दाणो समुह || ९
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