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________________ घावण्णासमो साधि २०१ परण तहि काले सयाणीयंकणेण परिहिय-रणवहु-णव-कंकणेण संघाणे थाणे किय-आयरेण गुरु-विद्ध विराडहो भायरेण हिं सरेहि भुवंगम-भीसणेहि णव-जलय-वलाहय-णिसणेहि छ-त्रि छिण्ण सिलीमुह दियवरेण पुणु थूणा-कण्णेसर-सएण सिरु खुडिउ मराले कमलु जेवं थिय सोमय-सिंजय णिरुत्रलेव ओहामिय कइकेय-जमल-राय पंचाल मच्छ विच्छाय जाय गुरु-वाणेहिं वूहई फोडियाई धय-चामर छत्तई मोडियाई वइसारिय हय गय वणिय जोह चउदिसिहि वहाबिय सोगिओह ८ पत्ता समसुत्ती पाडेवि णइ णिवाडेवि काल-ललाविय-जोह-णिह । रुहिरामिस-सित्तउ रस वस-लित्तउ हिंडइ दोणु कयतु जिह ।।९ (१८) तहिं काले परिट्ठिउ साहिमाणु जुहमण्णु जयद्धर चेइयागु सच्चइ घटुणु घट्टकेउ पंचालु सिहडि समुग्ग-तेउ वसुदाणु सुदक्खिणु उत्तमोज्जु खणे खत्तधम्मु जगे जणिय-चोज्जु आढत्तु अक्खत्ते तेहिं ताउ । ण सहिज्जइ केण-वि ते.वि धाउ ४ भूमीसह सीसई खुडइ दोणु कमलायर-कमलाई णाई दोणु एक्केक्कउ भीसणु वाणु लेवि वसुदाणि-जयद्धर गिहय वे-वि उरयडे पंचहि पंचालु भिण्णु सिरु खेमिहे णवहिं सरेहिं छिण्णु हउ वीस चउक्के खत्तधम्मु वारहहिं सिहंडिहे तणउ वम्मु ८ धत्ता तीपहिं सिणि-णंदणु किउ णीसंदणु उत्तमोज्जु-वीसहि सरेहिं । जुहमण्णु असक्केहिं पहउ पिसक्केहि णं चउसट्टिहिं विसहरेहिं ॥९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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