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________________ वावण्णासमो संधि घट्टज्जुणु णिवि समुग्ग-तेउ उत्थवं ण सक्कइ वारे-स्ले किर अच्छइ संसय मात्रे छुड पडिलग्ग परोप्परु समर - सोंड साइ-मि वढिय-मच्छराई खग्गग्ग झुलुक्किय- दिसिहाई पहात्रिय प-चामर-घत्त-धय इसारिय-हयवर-गयवराई' - तहिं तेहर रण- मुहे लइ लइउ जुहिट्ठिल Jain Education International पंडु-द-वल वर्णिय - मायंगय घत्ता फुरिय- महाउहे परिपालिय- उलु (१५) भाग- पाइक्क धित्त-सर-जालय सुढिय-भुय-दंडयं द'ति-द' तुक्ख' [१४] - मुह-रालय दोणि- दोहाइय चत्त-सण्णाहय थिउ उम्मण- दुम्मणु कलसकेउ ण सरासणु संठइ वाम-हत्थे दुम्मुहेण ताम पंचालु रुद्भु णं मत्त गइद समुद्ध-सुंड भिडियई परिओसिय-अच्छराई सोणिय - समुद्द-लौं धिय-हाई' णच्चाविय सुहड - कवंघ-सय पुंजीकय-कंचण रहवराई पवल - हय-दल-वल. धुणिय-सीसक्कयं लग्ग-पारक्कय गलिय-करवालयं पडिय-कोव 'ड' छिण्ण-स-कक्खय लद्ध-मुह - घायय' कह - विण-त्रि घाइय दोण-वाणाह १९९ भिडिउ दोणु तव - णंदणहो । भउ उप्पण्णु जणदणहो ॥ ९ For Private & Personal Use Only ४ ४ www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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