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________________ बावण्णासमो संधि तो जाल'धर स-सर-घणुद्धर रहसुद्धाइय . काहि मि ण माइय भरिय-दिय तर दलिय-वसुंधर हय-हडि-काहल पसरिय-कलयल उक्खय-पहरण चोइय-वारण किय-कडवंदण वाहिय-संदण जय-सिरि-सगम मुक्क-तुरंगम अतुल-परक्कम केसरि-विक्कम तेहिं चलंतेहिं खोणि खणतेहि रउ उद्धाइउ जगे जि ण माइउ घत्ता जल-थल-आगासइं अमर-सहासई सव्वइ धूलिए मइलियइ । पर अतुल-पयावई विमल-सहावइ' चित्तई भडहण मइलियई॥११ तो णरु णिरुद्ध जाल धरेहिं ' दुद्दिणे दिणमणि जलहरेहि ण केसरि मत्त-महा-गएहिण चंदण-पायउ पण्णएहिं एक्कलउ अज्जुणु वलु अणतु वावरइ तो-वि तिण-समु गणंतु विप्फुरइ विज्जु जिह चाव-लट्ठि दस वीस तीस पचास सट्टि ४ सउ सहसु लक्खु अप्परिपमाण .. पसरति चउद्दिसु णवर वाण सव्वेहिं अखत्त लइउ पत्थु सव्वेहि-मि विसज्जिउ सव्वु अत्थु धड सव्व-जत-पाहाणविट्टि लक्खिज्जइ जउ जउ रमइ दिष्ट्रि सो पहरण-णिवहु कइद्धएण विणिवारिउ वेहाविद्धरण पत्ता गडीव-विहत्थे खंडिय पत्थे सोलह सहस महासरह' । पडियई खुडियद्धइ खम्वई खद्धई णाई सरीरई विसहरह॥ ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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