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रिडणेमिचरिउ
[४] तहिं अवसरे वुच्चइ महुमहेण लज्जिज्जइ पत्थ पराहवेण जाणहि जि महारहे थवेवि आउ कह-कहव ण दोणे धरिउ राउ पई विणु भुवदंड-भय कराह को अंकुसु मोडइ गुरु-सराह पयरक्खु विओयर जइ-वि थाइ गय-घडह विरुज्झइ सीहु णाई ४ पयरक्स्व गरिंदहो जमल जे-वि मद्दाहिव-सउणिहि धरिय ते-वि अहिमण्णु मईद-किसोरु णाई जेत्तहिं जे कुमार तेत्तहिं जि थाइ सोमय-सिंजय-पंचाल जे.वि कुरु-गुरु सक्कति ण धरेवि ते-त्रि ८
घत्ता
रइयजलि-हत्थें वुच्चइ पत्थे वित्थारिय.जस-मडवह । हरि तुहुँ जहिं जमलउ णय-पय-कमलउ कवणु दुक्खु तहिं पंडवह ॥९
४
संसिऊण वसुएव-णदण करमि जाण(१) सस्सीरिय वल हय-हय वियारिय-महागयं भग्ग-संदण णोल्ल-णरवर वाहिओ धुराहिवेण रहवरो रय-णिहाय-कय-मेह-डवरो पंचयण्ण-णिग्योस-भीसणो कोत-तोय-तणु-तेय-तेइओ
धुरि अणुट्ठिओ वाहि संदण खर-खुरुप्प-कप्पिय-उरत्थल मोडियायवत्तं वलुद्धय हिर-मंस-वस-तित्त-णिसियर चडुल-चक्क-चिक्कार-दुद्धरो देवयत्त-रव-वहिरियंवरो पलय-मेह-मयरहर-णीसणो गरुड-पवण-मण-वेय-वेइओ
धत्ता
धए कंचण-वाणरु पासे महीहरु रहवरे गरु करे स-सरु धणु । रण-रामासत्तेहिं दिट्ट तिगत्तेहिं णाईणवल्लउ जमकरणु ।। ९
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