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चउतीसमो संधि आहासइ दूउ माण-गइंदारोहणहो। करे संधि अयाण देहि बुद्धि दुज्जोहणहो ॥१
[१] इच्छहि जइ गयउरु दंतउ इच्छहि जइ कुलु रिद्धि है जंतउ इच्छहि जइ जीयंतई सयणई इच्छहि जइ सुवण्ण-मणि-रयणइं इच्छहि जइ घण्णइं असरालई इच्छहि जइ चामीयर-थालई इच्छहि जइ बहु-रसणा-दामई इच्छहि जइ गोहणई पगामइं इच्छहि जइ सोवण्णई छत्तई इच्छहि जइ णिय-पुत्त-कलत्तई इच्छहि जइ स-रज्जु सीहासणु इच्छहि जइ जियंतु दूसासणु इच्छहि जइ हय-गय-रह-वाहणु चाउरंगउ चउ-पासिउ साहणु इच्छहि जइ समिध्धु कुरु-जंगलु इच्छहि जइ णिय-गोत्तहो मंगलु
धत्ता तो विजउ संधि दिज्जउ अदु वसुंधरिहे । मा कमे णिवडंतु कुरु-मिग अजुण-केसरिहे ॥
[२] वुत्तउ किण्ण करेहि अकारणे दुज्जय पंडव होति महारणे जहिं विराडु जहिं दुमउ स-संदणु जहिं सहाउ सयमेव जणद्दणु . जहिं पज्जुण्णु विज्जाहर-सामिउ जेण काल-संवरु ओहामिउ जहिं सच्चइ अक्खोहणि-साहणु जहिं वसुएउ महागय-वाहणु जेण मयंवरे रोहिणि-केरए लाइउ पर-वलु वहे विवरेरए जहिं वलएउ हलाउह-हत्थउ जहिं अपमाणउ तुरय-चलस्थउ जहिं आहुट्ट-कोडि जायव-वलु णं मज्जाय-चत्त सायर-जलु
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