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________________ १८८ रिट्ठणेमिचरिउ तेहिं गएहिं परुष्परु घाइड धाए घाए थरहरइ वसुधर घाए घाए उट्ठति फुलिंगइ घाए घाए वहु-मरगय-टिक्कई घाए घाए कल-किंकिणि-जालउ . घाए घाए तुट्टइ सीसक्का घाए धाए दलियई तणु-ताणई घाए धाए घुम्मति सरीरई घाए घाए सुरवरह णिय तह संसउ विहि-मि वलह उप्पाइड घाए घाए डोल्लंति महीहर होंति दिसा-मुहाई सिहि-पिंडइ उच्छलंति मोत्तिय-माणिक्कइं उच्छलति उच्छलिय-वमालउ धाए घाए भूवइ-लल्लक्कई घार घाए रुहिरई अ-पमाणई धाए घाए चित्तई गिरि-धीरइ. णिट्ठियाइ कुसमाई-धिवंतह ८ घत्ता गरुय-धाय-विहलंघल वे-वि महावल पडिय महीयले मुच्छ गय । दिट्ठा सुर-विदेहिं कुरुव-गरिदेहिं गिरि व पुर दर-कुलिस-हय ॥१० ४ महाहिवइ-अमाणुस-गम्में णिय-वलु पइसारिउ कियवम्में एत्तहे वइरि हणतु विओयरु ऊदिउ जाउहाणु जम-गोयरु तो कामिणि जण-मण-थण-थेणहं जाउ जुझु णाउलि-विससेणह रवि-सुय-तणएं दस सर पेसिय णउलहो णदणेण णीसेसिय अवरेहि दसहि थणंतरे ताडिउ । धणुवरु छिण्णु महा-धउ पाडिउ आसत्थामु ताम थिउ अंतरे धाइय पंडु-पुत्त तहिं अवसरे सोमय-सिंजय-कइकय-राणा अवर-वि पहु एक्केक्क-पहाणा एत्तहे रहवर-तुरय-वरेण्ण धाइयाई दुजोहण-सेण्णई नाडिस . ८ धत्ता पंडव-कुरुवाणीयह णहयले अणक्कारिउ विक्कम-वीयह सुर-परिवारिउ जाउ महाहउ दुब्बिसहु ।। आउ णिहालउ अमर-पहु ।। ९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001428
Book TitleRitthnemichariyam Part 3 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorRamnish Tomar, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages328
LanguagePrakrit, Apabhransh
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size13 MB
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