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एक्कपण्णासमों संधि
[१२] विष्णि-वि लउडि-दंड-दारुण-कर वे-वि जुहिट्ठिल-कुरुवइ-किंकर विष्णि-वि भिडिय भीम-मद्दाहिव विण्णि-वि सणक्ख हरिणाहिव णं विक्षिण-वि स-संग कुल-पायव __णं विण्णि-वि स-दाढ अट्ठावय णं विण्णि-वि स-खभ वर-वारण ण वण-महिस सिरोरुह-पहरण ४ विण्णि-वि वावर ति सम-धाएहि वे-वि पडति थंति णिय-वाएहि विहि-मि भमंतेहिं भमइ वसुंधर तिहि थाइ स-सयल स-सायर विष्णि-वि चित्तमाणु-सरिस-प्पह विष्णि-वि घोर-घाय-घट्टिय-णह स-मि हुण पेक्ख ति पसत्थई जुज्झइ पंडव-कुरुवेहि पत्तइ ८
घत्ता
मदाहिवइ-विओयर वे-वि समच्छर लउडिहिं कणय-समुज्जलेहि । विप्फुरति समरंगणे णाई णहंगणे पल्य-मेह ण विज्जुलेहि ॥ ९
[१३]
गय अट्ट पयई पडिवाइयण जम-दूय परोप्परु धाइय दिण्ण धाय सिर-उर-कर-चरणेहिं विविहन्भंतर-वाहिय-करणेहि तुट्टेवि गयउ गयउ गय-सारउ लइयउ विहि-मि वेणि पुणु अवरउ भार-सयहो कालायस-घडियउ उप्परि जायरूव-संजडियउ ४ सव-महग्धर-पण-संपुण्णउ विप्पुर ति ण विसहर-कण्णउ किकिणि-घंटा-जाल-बमालिउ चंदण-लित्तउ कुसुमोमालिउ गंध-धूव-अहिवासण-पत्तउ मत्ताहत्थि-मय-मइलिय-गत्तउ सयल-काल णच्चियउ कवघउ रुहिरामिस-वस-वीसढ-गंधउ
पत्ता उहय-णराहिव-मल्लेहिं पडव-सल्लेहिं लइउ ताउ महा-गयउ । मोहण-मण-लीलउ मारण-सीलउ णाई रउद्दउ देवयउ ॥ ९
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